वाराणसी/लखनऊ/दिल्ली। पूर्वांचल राज्य जनमोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष व वरिष्ठ पत्रकार हरवंश पूर्वांचली ने "चंदौली न्यूज प्रिंट" से बातचीत में कहा कि उत्तर प्रदेश की सत्ता में राज करने वाली सरकारों के विकास के लाख दावे के बीच सरकारी आंकड़े बताते हैं कि उत्तर प्रदेश में प्रति व्यक्ति की आय आज भी यूपी को विभाजित कर बनाये गए छोटे राज्य उत्तराखंड व झारखंड से बहुत नीचे है। हमारे विकास दर की रफ्तार बिहार राज्य से भी कम है। उत्तर प्रदेश का ही एक भाग पूर्वांचल के लोग यहां 70 सालों से बदहाली में जी रहे हैं। इससे तो अच्छी दशा उत्तर प्रदेश में मध्य क्षेत्र राजधानी लखनऊ, बुंदेलखंड व पश्चिम की है।। सच तो यह है कि पूर्वांचल में न तो पलायन रुका और ना ही उद्योग धंधों की रफ्तार ही राजस्व के अनुरूप बढ़ पाई। हालांकि मौजूदा योगी सरकार ने अपने विकास कार्य के 3 साल पूरे होने पर जारी आंकड़े में यूपी की प्रति व्यक्ति आय 70 हजार रुपये बताई है। यह भी कटु सत्य है कि पूर्वांचल की दुर्दशा मौजूदा योगी सरकार की ही देन नहीं है। अन्य सरकारों में भी पूर्वांचल को केवल लूटा गया। यह बदहाली अब तक यूपी में राज करने वाली सभी सरकारों की देन है। निश्चित रूप से अगर पूर्वांचल को आगे बढ़ाना है तो पृथक राज्य का दर्जा पूर्वांचल को देना होगा। वर्ष 2017-18 की रिपोर्ट
प्रति व्यक्ति की औसत आय पर नजर डालें तो स्वतः तस्वीर साफ हो जाती है।
भारत 1,14,958 रु.
झारखंड 63,754रु.
बिहार 38,860रु.
दिल्ली 3,28,985रु.
उत्तर प्रदेश 55,456रु.
उत्तराखंड 1,73,820रु. वहीं
कुल प्रति व्यक्ति आय में औसत वृद्धि(2017-18)
भारत 9.8%
झारखंड 6.6%
बिहार 12.9%
उत्तर प्रदेश 8.9%
उत्तराखंड 10.3% तथा
दिल्ली की 10.1% है।