घर आने की छटपटाहट: : प्रवासी मजदूरों को ट्रेन द्वारा वापस बुलाने और राहत पैकेज देने के संदर्भ में प्रधानमंत्री नरेंद मोदी को भेजा गया पत्र

घर आने की छटपटाहट: : प्रवासी मजदूरों को ट्रेन द्वारा वापस बुलाने और राहत पैकेज देने के संदर्भ में प्रधानमंत्री नरेंद मोदी को भेजा गया पत्र

                                                                                                                                         【 प्रवासी मजदूरों को ट्रेन द्वारा वापस बुलाने और राहत पैकेज देने के संदर्भ में  प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी को वर्कर्स फ्रंट द्वारा पत्र भेजा गया है, यह पत्र अक्षरशः नीचे है  】
-------------------------------------------------------------
सेवा में,
      माननीय प्रधानमंत्री
      भारत सरकार, नई दिल्ली।
विषय:- प्रवासी मजदूरों को ट्रेन द्वारा वापस बुलाने और राहत पैकेज देने के संदर्भ में:-
महोदय,
       मान्यता प्राप्त श्रमिक महासंघ वर्कर्स फ्रंट समेत तमाम संगठनों द्वारा कोविड-19 के संक्रमण के कारण हुए लाकडाउन में प्रवासी श्रमिकों को वापस उनके घर वापस पहुंचाने की मांग को संज्ञान में लेकर केन्द्र सरकार ने कल घर वापस भेजने का निर्देश दिया है. इस सम्बंध में कल ही केन्द्र सरकार के गृह मंत्रालय ने आदेश जारी किए है. गृह सचिव भारत सरकार द्वारा इस आदेश दिनांकित 29.04.2020 में प्रवासी मजदूरों को लाने की जबाबदेही राज्य सरकारों पर छोडी गयी है. इस आदेश में प्रवासी मजदूरों को लाने के लिए राज्यों को नोडल अधिकारी नियुक्त करने, रास्ते में पडने वाले राज्यों को मजदूरों के खाने-पीने की व्यवस्था करने, मजदूरों को सड़क मार्ग से ही लाने और इसके लिए जिन राज्यों से लाने वाले साघन गुजरे वहां उन्हें अनुमति देने और लाए जाने वाले साधनों में व्यक्तिगत दूरी बनाने, साधनों को सेनिटाइज करने और मजदूरों की स्कैनिंग आदि के निर्देश दिए गए है.
      इस सम्बंध में संज्ञान में लाना चाहेंगें कि इस समय प्रवासी मजदूरों में घर वापसी की बेहद बेसब्री है और कल केन्द्र सरकार द्वारा की गयी घोषणा से वह और भी बढ़ गयी है. आप अवगत है कि नोएडा, हरियाणा, सूरत, मुम्बई और हैदराबाद जैसी तमाम जगहों पर घर वापस जाने के लिए बड़ी संख्या में प्रवासी मजदूर इकठ्ठा हो गए थे. जिससे कोरोना महामारी से लडने के लिए व्यक्तिगत दूरी बनाने के सरकार के प्रयास को बड़ा धक्का भी लगा था. इन मजदूरों को वापस लाने की किसी नीति के अभाव में और बिना किसी योजना के आनन फानन में लागू किए गए लाकडाउन के कारण लाखों की संख्या में प्रवासी मजदूर पैदल, साईकिल, ठेला, रिक्शा आदि साधनों से हजारों किलोमीटर दूर अपने घरों को वापस लौट रहे है. हमें उम्मीद है कि भोजन व पानी न मिलने और बीमारी से उनके बेमौत मरने की खबरें भी आपके संज्ञान में होंगी। उत्तर प्रदेश में तो दिल्ली से लाए मजदूरों से सरकार ने किराया तक लिया था और जिन निजी बसों से वह दिल्ली से लखनऊ तक लाए गए थे, उन निजी बस मालिकों ने उनसे बस के अंदर बैठने का 1000 रूपया और छतों पर बैठने का 800 रूपया वसूला था. अभी भी श्रमिक महासंघ के अध्यक्ष व सोनभद्र जनपद का श्रम बंधु होने के कारण महाराष्ट्र, तमिलनाडू, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, पश्चिम बंगाल, हिमाचल प्रदेश, कर्नाटक, छत्तीसगढ़, गुजरात, बिहार, झारखण्ड़ जैसे तमाम राज्यों से विशेषकर सोनभद्र, चंदौली व मिर्जापुर के श्रमिकों के लगातार अधोहस्ताक्षरी को फोन आ रहे है। यह मजदूर बता रहे है कि मुम्बई और चेन्नई से लाने के लिए निजी बस मालिक उनसे 10000 रूपया तक मांग रहे है।
महोदय,
      आशा है कि आप प्रवासी मजदूरों के संकट से परिचित होंगे। यह मजदूर बाहर काम करके वहां से अपने परिवारों को पैसा भेजते है. इनके पास जहां यह काम करते है वहां आमतौर पर कोई अतिरिक्त धन नहीं होता. यहीं वजह है कि कई तो भुखमरी की हालत में जीवन गुजार रहे है. हमें यह भी सूचना मिल रही है कि साईकिल या अपने साधनों से लौट रहे मजदूरों को पुलिस रोक रही है और उनके साथ बर्बरतापूर्ण व्यवहार अभी भी जारी है। यह बेहद दुखद और अमानवीय है और लोकतांत्रिक प्रणाली के लिए शुभ नहीं है। जीएसटी के जरिए टैक्स के केन्द्रीकरण से राज्यों की आर्थिक हालत पहले से ही बेहद खराब है. ऐसी स्थिति में प्रवासी मजदूरों की जबाबदेही महज राज्य सरकारों पर छोड़ना उचित नहीं है. इसलिए यदि केन्द्र सरकार इस समय प्रवासी मजदूरों को सकुशल वापस लाने की जबाबदेही नहीं लेती और इस अनुरूप केन्द्रीय स्तर पर सुसंगत नीति निर्मित कर कार्यवाही नहीं करती तो स्थिति विस्फोटक हो सकती है.
        प्रवासी मजदूरों के सामने मौजूद उपरोक्त संकटकालीन परिस्थितियों में हम आपसे निम्नलिखित मांग करते है. आपसे उम्मीद करते है कि आप इसे संज्ञान में लेकर सुसंगत नीति निर्मित करने का निर्देश देने का कष्ट करेंगें -
1. केन्द्र सरकार प्रवासी मजदूरों की बड़ी संख्या को देखते हुए इनको लाने के लिए विशेष ट्रेनों को चलाने की व्यवस्था करें। सामान लाने के लिए स्पेशल ट्रेनें सरकार चला रही ही है, इसलिए ऐसी ट्रेनों के संचालन में कोई दिक्कत नहीं है। टेªनों को सेनेटाइज किया जाए और आवश्यक स्वास्थ्य मंत्रालय के निर्देशों के अनुपालन को सुनिश्चित किया जाए.
2. सरकार को प्रवासी मजदूरों को लाने की मुफ्त व्यवस्था करनी चाहिए और चलने वाले स्थान से अपने घर तक जाने के लिए पर्याप्त मुफ्त खाने व पानी को उपलब्ध कराना चाहिए.
3. यदि सडक मार्ग से ही लाना अनिवार्य हो तो सरकार को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि मजदूर निजी बस आपरेटरों की लूट का शिकार न बने. बल्कि सरकार को सभी निजी बसों का अधिग्रहण कर उनका किराया स्वयं देना चाहिए न कि मजदूरों से लेना चाहिए.
4. प्रवासी मजदूर के परिवार उन पर निर्भर है इसलिए उनको उनके घर पहंुचने से पूर्व कम से कम 5000 रूपया और आटा, चावल, तेल, दाल, नमक आदि की राशन किट देनी चाहिए. 
5. अपने साघनों से आ रहे प्रवासी मजदूरों पर पुलिस द्वारा की जा रही बर्बरता पर रोक लगाने का आदेश सभी राज्य सरकारों को गृह मंत्रालय द्वारा दिया जाना चाहिए और यदि किसी भी जिले में ऐसी बर्बरता होती है तो वहां के जिलाधिकारी व पुलिस अधीक्षक को जबाबदेह बनाकर कड़ी कार्यवाही करनी चाहिए.     
      
सादर!

दिनकर कपूर          
श्रम बंधु, सोनभद्र
अध्यक्ष, वर्कर्स फ्रंट, उत्तर प्रदेश।
मोबाइल नम्बरः- 9450153307
तथा                                                         अजय राय
प्रभारी, मजदूर किसान मंच
जनपद चन्दौली उत्तर प्रदेश
फोन नंबर 8009160846

प्रतिलिपि सूचनार्थ व आवश्यक कार्यवाही हेतु:-

1. माननीय गृह मंत्री, भारत सरकार, नई दिल्ली।
2. माननीय मुख्यमंत्री, उत्तर प्रदेश, लखनऊ।
3. गृह सचिव, भारत सरकार, नई दिल्ली।
4. सचिव, राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण, भारत सरकार, नई दिल्ली।