कैमूर: खजुरा पंचायत में नहीं हुआ विकास, प्रतिनिधि उड़ा रहे लोकतंत्र का मजाक

कैमूर: खजुरा पंचायत में नहीं हुआ विकास, प्रतिनिधि उड़ा रहे लोकतंत्र का मजाक

      By:Sanjay Malhotra                                                                               दुर्गावती: बिहार राज्य के कैमूर जनपद थाना अंतर्गत खजुरा पंचायत के गलियों में पैदल चलना मुश्किल हो गया है. कहा जाता है कि यहां के जनपतिनिधि लोकतंत्र का मजाक उड़ा रहे हैं.                                            जिसका जीता जागता उदाहरण खजुरा गांव की दलित बस्ती है.जहां गलियों में चलने के लिए जूता और चप्पल को निकालकर हाथ में लेकर ग्रामीण अपने घर तक पहुंचते हैं. आज़ादी के इतने वर्षों बाद भी यहां के लोग कीचड़ युक्त गलियों में चल रहे हैं.
         हल्की बरसात के मौसम में भी कीचड़ युक्त गलियों में छोटे-छोटे बच्चे, बुजुर्ग व महिलाएं गिरकर घायल हो जा रहे हैं.                    ग्रामीणों का कहना है कि यह गांव विकास के मामले में बहुत पीछे है. यहां के  स्थानीय प्रतिनिधि पांच साल के कार्यकाल को सीखने में ही बीता देते हैं. और नहीं हो पाता है पंचायत का विकास.
                                                                                                                                      इस पंचायत में विकास की बात करें तो खजुरा गांव के दलित बस्ती में कोई भी पदाधिकारी कदम रखकर देख सकता है कि 5 साल के कार्यकाल में कितना विकास हुआ है.यही नहीं बल्कि सात निश्चय जल नल योजना में बहुत बड़ी लूट खसोट हुआ है.             जिसका जांच करने पर सच्चाई सामने आ जाएगा. खजुरा दलित बस्ती के वार्ड नंबर-एक में सात निश्चय योजना के तहत जल नल का पानी टैंक लगाया गया है. जिसका जमीनी स्तर पर जांच किया जाए तो पता चल जाएगा कि इसमें कितना भ्रष्टाचार हुआ है.                                     
        खबर है कि उसके लाइन लेंथ पाइप जहां 3 फीट जमीन के अंदर होना चाहिए वहां मात्र 1 फीट भी नहीं गड्ढा खोदा गया है.
 बल्कि ऊपर ही पाइप झलकता दिखाई दे रहा है. और समय पर पानी टंकी का सप्लाई नहीं किया जाता है. आने वाला समय में वह पाइप क्षतिग्रस्त हो जाएगा  तो ग्रामीण जनता को पानी के लिए तरसना पड़ेगा.                                                                        खजुरा गांव के ग्रामीणों ने नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया कि जनसूचना अधिकार के तहत कैमूर जिला पदाधिकारी से जांच करने का मांग किया गया है. अगर संतुष्टि जनक जांच-पड़ताल नहीं किया जाता है तो बाध्य एवं विवश होकर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के यहां गुहार लगाया जाएगा.