नागरिकों व किसानों के हाथों से बिजली छीन लेगा संशोधन कानून: अजय

नागरिकों व किसानों के हाथों से बिजली छीन लेगा संशोधन कानून: अजय


राय
◆ देशव्यापी काला दिवस के समर्थन में चकिया में विरोध कार्यक्रम आयोजित,  ईमेल द्वारा राष्ट्रपति को भेजे गए पत्रक 
चकिया/ चन्दौली: केन्द्र सरकार द्वारा बिजली के निजीकरण के लिए लाया जा रहा संशोधन कानून किसानों, मजदूरों और आम नागरिकों के हाथों से बिजली जैसा जिंदगी का महत्वपूर्ण अधिकार को छीन ले गा.                                    इसके खिलाफ बिजली कर्मचारियों के काला दिवस का वर्कर्स फ्रंट और मजदूर किसान मंच के कार्यकर्ताओं ने समर्थन किया और इसे वापस लेने के लिए महामहिम राष्ट्रपति को पत्रक भेजा.                              चकिया में वर्कर्स फ्रंट से जुड़े  मजदूर किसान मंच के प्रभारी अजय राय लॉक डाउन के नियम को पालन करते हुए हाथ में तख्ती लेकर विरोध कार्यक्रम  आयोजित हुआ और ईमेल के माध्यम से महामहिम राष्ट्रपति व प्रधानमंत्री को ज्ञापन भेजा गया.
महामहिम को भेजे ज्ञापन में मजदूर किसान मंच के प्रभारी अजय राय ने कहा कि कारपोरेट घरानों के हितों के लिए विद्युत क्षेत्र के निजीकरण का विद्युत संशोधन कानून 2020 राष्ट्रीय हितों के विरूद्ध है.                                     इसमें सब्सिडी, क्रास सब्सिडी को खत्म कर दिया गया है जिसके कारण बिजली के दामों में अप्रत्याशित वृद्धि होगी। किसानों को सिंचाई के लिए मिल रही सस्ती बिजली तो पूर्णतया खत्म हो जायेगी.     दूसरे देशों में बिजली बेचने के प्रावधान को करने से पहले सरकार को देश में सबको सुलभ, सस्ती और निर्बाध बिजली की व्यवस्था करनी चाहिए.                             हालत यह है कि अनपरा के आसपास तक के गांवों में अभी बिजली नहीं पहुंची है. तीन लाख मेगावाट की क्षमता के सापेक्ष हम अभी महज बयालीय प्रतिशत ही बिजली का उत्पादन कर पा रहे है.  वैसे भी बिजली के निजीकरण के प्रयोग देश में विफल ही हुए है. आगरा के टोरंट पावर के प्रयोग से खुद सीएजी के रिपोर्ट के अनुसार बड़ा नुकसान सरकार को हुआ है.                        घाटे का तर्क भी बेईमानी है एक तरफ सस्ती बिजली बनाने वाली अनपरा जैसी इकाईयों में थर्मल बैकिंग करायी जाती है वहीं दूसरी तरफ कारपोरेट घरानों से महंगी बिजली खरीदी जा रही है.                        वितरण कम्पनियों के घाटे का भी सच यह है कि सरकार ने ही अपना लाखों-करोड़ों रूपया बकाया नहीं दिया.           इसलिए ज्ञापन में महामहिम से बिजली जो जीने के अधिकार का हिस्सा है और संविधान के अनुच्छेद-21 के तहत आयेगा उसकी रक्षा के लिए इस संशोधन बिल को वापस लेने की मांग की गयी है.