चन्दौली: अपनी दुर्दशा पर आंसू बहा रहा सकलडीहा विकास खण्ड का बथावर गांव

चन्दौली: अपनी दुर्दशा पर आंसू बहा रहा सकलडीहा विकास खण्ड का बथावर गांव

         
फोटो-बथावर गांव की गली की यह हालत
                                                                                                           ● बारिश व नाले के पानी के जल जमाव से बजबजा रहीं गलियां, ग्रामीणों का जीना हुआ मुहाल

सकलडीहा (चन्दौली):  उत्तर प्रदेश के चन्दौली जनपद मुख्यालय से महज आठ-दस किलोमीटर दूर सकलडीहा ब्लाक के ग्रामसभा बथावर अपनी दुर्दशा पर आंसू बहा रहा है. कुछ बिंदुओं को यहां विकास के ज्यादातर सरकारी दावे महज आंकड़ों तक सीमित हैं.                                                                यहां की गलियों में जलजमाव से हालत बद से बदतर ही गई है.लोगों का जीना मुहाल हो गया है. आलम यह है कि गंदे पानी की निकास तथा रास्तों की उचित मरम्मत न होने से नालियों में कीचड़ ही कीचड़ भरा रहता है. इससे लोगों का आवागमन बढ़ीं मुश्किल से हो पाता है.                                                    मस्जिद के ठीक सामने माता भवानी का मंदिर भी हैं, उसी रास्ते से होकर दर्जनों परिवार को गुजरना पड़ता है. यहां पर गांव में प्रवेश करते ही कीचड़ से भरी गलियां लोगों की परेशानी की कहानी साफ तौर पर कह देती है.             शासन-प्रशासन की उपेक्षा का शिकार यहां की गलियां कई सालों से कीचड़ से बजबजाती रहती हैं.                नतीजतन, गलियों में पैदल चलना दुश्वार हो जाता है. गली में दुपहिया वाहन लेकर आना तो और भी मुश्किल है.                                                        यहां के ग्रामीणों ने बताया कि इस गली से दर्जनों बच्चे स्कूल जाते समय गिर कर चोटिल हो जाते हैं. कई बार ऐसा हुआ कि जब बच्चे कीचड़ के कारण गली में गिर पड़ते हैं. स्थिति यह हो जाती है कि उन्हें अस्पताल में भर्ती कराना पड़ता है.                                  ग्रामीणों ने बताया कि यह समस्या काफी वर्षों से है, मगर इस ओर ध्यान न दिए जाने से यह आए दिन बढ़ती जा रही है.
                                             पंचायत प्रतिनिधि अपनी राजनीतिक रसूख बता पल्ला झाड़ लेते हैं. ग्राम बथावर की हालत सरकारी दावों को झूठा साबित करती है. ब्लाक मुख्यालय से महज 8 -10 किमी की दूरी पर बसा है यह गांव आजादी के 70 साल बाद भी अपनी दुर्दशा पर आंसू बहा रहा है.               यहां न तो यह रास्ता ठीक हैं और न ही कूड़ा निस्तारण की व्यवस्था. बरसात के पानी में डूबी कीचड़ वाली गली से होकर गुजरने के लिए लोग मजबूर हैं. अपने कार्यकाल के दौरान सरपंच ने यहां विकास के नाम पर कुछ खास नहीं किया है.
कागजों में सब दुरुस्त है लेकिन सरकारी योजनाओं का यहां बुरा हाल है.                       यूं तो पूरे साल इस गली में बदहाली रहती है. लेकिन सबसे ज्यादा समस्या बरसात के दिनों में होती है उची गली व नाले के अभाव में सबके घरों का गंदा और बदबूदार पानी खुले में बहता है.                                                     जिससे स्वास्थ्य पर बहुत बुरा असर पड़ता है. आवागमन का रास्ता न होने की वजह से लोगों को पानी के बीच से होकर ही गुजरना पड़ता है. कीचड़ और फिसलन होने के कारण आए दिन लोग रास्ते में गिरकर चोटिल होते हैं.      रिपोर्ट: भूपेंद्र कुमार