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संगीत कार्यक्रम में. फोटो : pnp |
विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित श्रेष्ठ गुरु पद्मश्री पं. राजेश्वर आचार्य ने अपने आशीर्वचन देते हुए कहा," इस कोरोना काल में करुणा को आधार बनाते हुए सांगीतिक करुणा का कार्य करें एवं मानसिक चिंतन का कार्य करें." उन्होंनें कहा कि," काशी केवल धर्म की ही नहीं अपितु विश्व की प्राचीनतम संस्कृति की धृति भी है." इसके पश्चात उदघाटन सत्र के अंत में संस्था की प्रमुख सचिव श्रीमती किरण चंचल ने सभी अतिथियों का धन्यवाद ज्ञापित किया. इस कार्यशाला में कई विद्वान उपस्थित रहे. जिनमें पं. सत्यशील देशपांडे जी, प्रो.लावण्य कीर्ति सिंह, प्रो. राजेश शाह, प्रो. संगीता पंडित, प्रो. शारदा वेलेंकर, प्रो.शशि कुमार डॉ. रामशंकर, श्यामा कुमारी, जे.पी.रावत, आचार्य मुकेश, डॉ. रवि मिश्रा, डॉ. अमित पांडेय देश भर से 180 प्रतिभागी उपस्थित रहे.
कार्यशाला के तकनीकी सत्र के प्रारंभ में सुश्री कामाक्षी यादव ने कार्यशाला के प्रशिक्षक गुरु अभिजीत घोषाल का संक्षिप्त परिचय देते हुए बताया कि अभिजीत घोषाल प्रख्यात पार्श्व गायक हैं, वह ज़ीटीवी. के सांगीतिक कार्यक्रम 'सा रे ग म प' के ग्यारह बार विजेता रहे हैं
इसके पश्चात कार्यशाला में अभिजीत ने विद्यार्थियों को सुगम संगीत के अभ्यास के लिए बहुत से उपाय एवं प्रयोग विधियां बताई. कार्यशाला के समापन सत्र में चंद्रमा चौरसिया ने सभी का आभार व्यक्त करते हुए धन्यवाद ज्ञापित किया. [भूपेंद्र कुमार ब्यूरो चीफ चन्दौली, पूर्वांचल न्यूज प्रिंट]