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कविता:
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कवियत्री: सरिता कटियार |
मुझसे ना कोई प्यार करता है
हम भी तो प्यार की डगर देखें.
दौलत शौहरत बडे़ मकानों में
लोगों के छोटे से ज़िगर देखें.
झुकते हैं जो बड़ों के चरणों में
वही कामयाबी की डगर देखें.
तू तो बसता है मेरे ह्रदय में
तेरे जैसा ना हमसफ़र देखें.
गुरु के चरणों में नतमस्तक
जब से मिला उसे नज़र देखें.
लूटने वाले लोग दुनिया के
फिर भी लोगों को बेखबर देखें
ख्वाब पूरा नहीं होता फिर। भी नया इक ख्वाब फिर मगर देखें.
कांटों से वास्ता उमर भर हो
फूल सा कोई ना सफर देखें.
शम्मा जलती यही है काम उसका परवाना आके इक नज़र देखें.
खौफ इंसान को है इंसां से
ऐसी ही शाम ओ सहर देखें.
हुस्न वालों को हुस्न का डर है
हुस्न वाले नहीं निडर देखें.
Source: कवियत्री सरिता कटियार,
लखनऊ (यूपी)