किसान नेताओं का उत्पीड़न लोकतंत्र के लिए अशुभ : एआईपीएफ

किसान नेताओं का उत्पीड़न लोकतंत्र के लिए अशुभ : एआईपीएफ

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किसान विरोधी तीनों कानूनों की वापसी और न्यूनतम समर्थन मूल्य पर कानून बनाने की मांग पर राष्ट्रीयस्तर पर जारी किसान आंदोलन का समर्थन किया गया।

एआईपीएफ प्रवक्ता एसआर दारापुरी

वाराणसी में गुण्डा एक्ट लगाने के खिलाफ दारापुरी ने भेजा सरकार को प्रतिवाद पत्र  

Hindi Samachar-Lucknow

लखनऊ। किसान विरोधी तीनों कानूनों की वापसी और न्यूनतम समर्थन मूल्य पर कानून बनाने की मांग को लेकर राष्ट्रीय स्तर पर जारी किसान आंदोलन का समर्थन किया गया।

 वाराणसी में स्वराज अभियान के प्रदेश महासचिव रामजन्म यादव, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के जिला सचिव जयशंकर सिंह, अखिल भारतीय किसान सभा के जिला सचिव व सीपीआईएम नेता रामजी सिंह, स्वराज इंडिया कार्यकर्ता शिवराज यादव व सीपीएम के वंशराज पटेल को दी गई गुण्डा एक्ट की नोटिसों पर प्रतिवाद दर्ज कराया है। 



आल इंडिया पीपुल्स फ्रंट के राष्ट्रीय प्रवक्ता और पूर्व आईजी एस. आर. दारापुरी ने अपर मुख्य सचिव गृह को प्रतिवाद पत्र भेजा है। पत्र में दारापुरी ने कहा कि पुलिस व प्रशासन द्वारा प्रदेश में किसान आंदोलन का समर्थन करने वाले राजनीतिक, सामाजिक कार्यकर्ताओं व किसान नेताओं का लगातार जारी उत्पीड़न और प्रदेश में सामान्य लोकतांत्रिक गतिविधियों पर रोक लोकतंत्र के लिए अशुभ है और सरकार को इससे पीछे हटना चाहिए।
      
 पत्र में कहा गया कि लम्बे समय से समाज के हितों के लिए कार्यरत प्रतिबद्ध राजनीतिक-सामाजिक कार्यकर्ताओं को दी गई गुण्डा एक्ट की नोटिसें राजनीतिक बदले की भावना से है और हाईकोर्ट के आदेशों के विरूद्ध है। क्योंकि इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कई निर्णयों में साफ कहा है कि महज एक मुकदमे के आधार पर किसी भी व्यक्ति के ऊपर गुण्डा एक्ट नहीं लगाया जा सकता है। 

किसान कल्याण पखवाडा मना रही सरकार के राज में धान की सरकारी खरीद का बुरा हाल है और अभी तक सरकार ने गन्ने के दाम घोषित नहीं किए है परिणामस्वरूप गन्ना खरीद की पर्ची में दाम तक नहीं लिखे जा रहे है। 

परन्तु पुलिस प्रशासन किसी को भी अपनी आवाज तक नहीं उठाने दे रहा है और संविधान प्रदत्त सामान्य लोकतांत्रिक गतिविधि पर रोक लगा दी गई है। 

विगत दिनों एआईपीएफ के नेता कांता कोल की सोनभद्र में, योगीराज सिंह पटेल की वाराणसी में, अजय राय की चंदौली में और इकबाल अहमद अंसारी की मऊ में गिरफ्तारी की गई और उन्हें घर में नजरबंद किया गया।

 कोविड के नियमों का पालन करते हुए लखनऊ में शांतिपूर्ण घरना करने के लिए दिनांक, समय और स्थान बताने के लिए एक सप्ताह पूर्व शासन को पत्र भेजा गया पर कोई जबाब नहीं आया। 

ऐसी स्थिति में पत्र में प्रदेश में सामान्य लोकतांत्रिक गतिविधि करने की अनुमति देने, राजनीतिक-सामाजिक कार्यकर्ताओं व किसान आंदोलन के नेताओं के किए जा रहे उत्पीड़न पर रोक लगाने और वाराणसी जिला प्रशासन को किसान नेताओं को दी गई। गुण्डा एक्ट की नोटिस निरस्त करने का निर्देश देने की मांग अपर मुख्य सचिव गृह से की गई है।


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