सरकारी जमीन पर अवैध कब्जे से ग्रामीणों में आक्रोश, अधिकारियों की उदासीनता से कानून व्यवस्था पर उठ रहा सवाल?

सरकारी जमीन पर अवैध कब्जे से ग्रामीणों में आक्रोश, अधिकारियों की उदासीनता से कानून व्यवस्था पर उठ रहा सवाल?

सर्वसाधारण एवं आनाबाद बिहार सरकार जमीन पर भू माफियाओं द्वारा कब्जा के विरुद्ध ग्रामीण जनता द्वारा कई बार आवेदन के माध्यम से शिकायत की गई।
दर्ज शिकायती पत्र, फोटो-pnp

कुदरा, कैमूर। कुदरा प्रखंड अंतर्गत घटांव पंचायत के पट्टी गांव में आनाबाद सर्वसाधारण एवं आनाबाद बिहार सरकार जमीन पर भू माफियाओं द्वारा कब्जा के विरुद्ध ग्रामीण जनता द्वारा कई बार आवेदन के माध्यम से अंचल पदाधिकारी कुदरा, अनुमंडल पदाधिकारी मोहनियाँ जिला पदाधिकारी कैमूर से गुहार लगाई गई, बावजूद कोई कार्रवाई न होते देख ग्रामीणों ने अनुमंडल लोक शिकायत निवारण मोहनियाँ को आवेदन दिया गया। इस आलोक में अंचलाधिकारी कुदरा द्वारा भूमि की पैमाइश कराई गई और यह सिद्ध हुआ कि आनाबाद सर्वसाधारण व आनाबाद बिहार सरकार जमीन पर भू-पतियों द्वारा जबरन कब्जा किया गया है। बावजूद अभी तक स्थायी हल नहीं निकल पाया है।


 जबकि अंचल पदाधिकारी कुदरा द्वारा अतिक्रमण वाद संख्या 2/2021-22 तो शुरू किया गया पर कार्यवाही के नाम पर अधिकारियों द्वारा सिर्फ लीपापोती किया जा रहा है। 


वहीं पट्टी गांव के पोखर के पिंड पर दूसरे गांव के समुदाय विशेष द्वारा धर्म के नाम पर कई बार भूमि कब्जा की कोशिश की गई। जिसके विरुद्ध ग्रामीण जनता के साथ ही आसपास के लोगों द्वारा भी शासन प्रशासन के पदाधिकारियों से गुहार लगाया गया। बाद में पदाधिकारीयों के हस्तक्षेप के बाद अंचल पदाधिकारी कुदरा द्वारा भूमि खाली कराया गया था और आदेश दिया गया था कि उक्त भूमि पर किसी भी तरह का धार्मिक अथवा अधार्मिक कार्यक्रम नहीं होना चाहिए। बावजूद बीते मुहर्रम के त्योहार में अंचल अधिकारी मोहनियाँ सह प्रभार कुदरा के झंडा लगाने की अनुमति दे दी गई। इसके उपरांत ग्रामीणों द्वारा पुनः अनुमंडल पदाधिकारी मोहनियाँ, जिला पदाधिकारी कैमूर से गुहार लगाई गई। उच्च पदाधिकारियों के हस्तक्षेप के बाद झंडा हटवाया गया और कार्यक्रम रद्द भी करवाया गया। फिर भी अभी तक पदाधिकारियों द्वारा लिखित तौर पर स्थाई निदान नहीं किया गया। जिससे कि भविष्य में कभी भी किसी तरह की अनहोनी न होने पाए और ऐसा नहीं करने से बवाल की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता। फिर भी पदाधिकारी ध्यान नहीं दे रहे हैं। इससे यह सिद्ध होता है कि कहीं ना कहीं गलत कार्यों के लिए अधिकारी भी जिम्मेदार हैं।