पूर्वी यूपी का सबसे पिछड़ा इलाका चन्दौली धान का कटोरा कहा जाता है। यहां धान की सरकारी खरीद मजाक बन गया है|
किसान मजदूर नेता अजय राय, फोटो-Pnp |
आप पढ़े, यहां की 'LIVE' खबर
सरकारी धान खरीद से परेशान किसानों की समस्याओं के बाबत क्या कहा जा रहा है...।
आगे प्रस्तुत है....जब तक सरकार एमएसपी गारंटी कानून नहीं लागू करेगी, तब तक किसानों की फसलों की खरीद की समस्या बनी रहेंगी। कल चन्दौली जनपद में भाजपा द्वारा आयोजित किसान सम्मेलन के बाद पूरे जनपद में धान खरीद को लेकर लगभग हर क्रय केन्द्र पर तब से किसान सड़कों पर उतर कर सरकार से धान खरीद करने की मांग कर रहे हैं।
...कल अधिकारियों ने किसानों से साफ कहा कि धान खरीद नहीं हो रही हैं। मगर, यहां ऑनलाईन - ऑफलाइन का ड्रामा चालू है।
अफसर कहते हैं कि सरकार से पूछो.. आज जगह-जगह ऑनलाइन कराये किसानों की धान की खरीद न होने पर किसान सड़क पर उतर पड़े। जनकपुर क्रय केन्द्र ( गांधीनगर) में फोन पर जिलाधिकारी (प्रभारी) से मजदूर किसान मंच के राज्य कमेटी सदस्य अजय राय ने कहा तो उन्होंने कहा कि... सरकार को क्या करना हैं यह सरकार को भी जानकारी नहीं हैं....क्योंकि इस सरकार को किसानों की समस्या के बारें में कोई समझ नहीं हैं...
इस सरकार में कोई कृषि मंत्री भी है!
सरकारी व्यवस्था से परेशान किसान सवाल पूछते हैं कि इस सरकार में कोई कृषि मंत्री भी है? यह तो उन्हें भी जानकारी नहीं हैं। तब कैसे कब बदल जाते हैं सरकार के फैसले!
कहते हैं कि पहले आपने तय किया कि किसानों की खतौनी के सत्यापन के बाद नम्बर क्रय केन्द्र पर लगेगा। फिर सत्ता में पहुँच रहने वाले व हनकदार लोगों का धान हर क्रय केन्द्र पर खरीदा जाना शुरू हो गया, तब किसानों ने चौतरफा हो -हल्ला करना शुरू किया। फिर किसी ने योगी सरकार को समझा दिया कि टोकन सिस्टम चालू कर दें, सरकार पर कम आरोप लगेगा। इसके बाद फिर टोकन सिस्टम हर क्रय केन्द्र पर चालू करने का एकाएक आदेश आ गया। ऐसा होते ही किसानों के बीच अफरातफरी मच गयी। क्योंकि कई- कई सौ रूपये लगाकर क्रय केन्द्र का टोकन लिया गया। धान क्रय केन्द्र पर टोकन के हिसाब से पहुंचे तो पता चला कि अंगुठा लगाने का सिस्टम काम नहीं कर रहा है। एक बार फिर किसानों के बीच अफरा -तफरी मंच गयी। उसके बाद फिर अधिकारी के तरफ से जानकारी मिली कि पहले की तरह आफ लाइन क्रय केन्द्र पर धान की खरीद होगी।
वहीं जब चन्दौली में यह खबर टीवी, मीडिया चैनल में चलने लगा कि योगी सरकार के एक मंत्री ने सरकार को समझा दिया कि टोकन सिस्टम होने से किसानों को परेशानी हो रही है, इसलिए फिर आफ लाइन किसानों की धान खरीद क्रय केन्द्र पर होगी... फिर ऑफ लाइन धान खरीद का आदेश कल शाम तक आ गया। फिर जो ऑनलाइन का नम्बर कल था, उन्हें कहा गया सिस्टम काम नहीं कर रहा हैं। जबकि वे धान क्रय केन्द्र पर लाकर खरीद की आस में बैठे रहें, यहां स्थिति अजीब हो गई है। सच तो यह है कि किसानों का उत्पीड़न हो रहा है। सरकार की मंशा ठीक नहीं है। यह सारे किसान आरोप लगा रहे हैं
...कभी दिल्ली, तो कभी दौलताबाद
एक राजा के बारे में सुनते थे कि वह देश की राजधानी कभी दिल्ली तो कभी दौलताबाद बनाता तो कभी दौलताबाद से दिल्ली करता रहता था वहीं हाल सरकार ने किसानों की कर दी है। कोई सही निर्णय नहीं हो पा रहा है।
कौन सुनेगा इस किसान की दर्द....।
एक जमीनी किसानों के नेता राम अवध सिंह के शब्दों में....ऑनलाइन टोकन पर खरीद होने की उम्मीद में किसान ट्रैक्टरों पर लेकर पहुंचे लेकिन उनकी उम्मीदों पर पानी फिर गया। फिर ऑनलाइन टोकन सिस्टम समाप्त कर दिया गया। अब क्या होगा मौसम की तरह से सरकार के नियम कायदे बदल रहे हैं। 100 कुंटल से 27 दिसंबर को प्राइवेट सेंटरों पर धान नहीं खरीदा गया।
यह तो किसानों की छाती पर वार होगा.....|
ऐसे तुगलकी फरमान से किसानों का भला हो सकता है। भ्रष्टाचार मुक्त शासन है, डबल इंजन की सरकार है। कभी ऑनलाइन टोकन कभी ऑफलाइन क्या सुंदर ड्रामा चल रहा है। यही तो किसानों के साथ सरकार का व्यवहार है।