फिर पुनरावृति : इस बार मानव नही, गंगा में एक साथ बहते दिखे एक दर्जन से ज्यादा पशुओं के शव, उठे सवाल

फिर पुनरावृति : इस बार मानव नही, गंगा में एक साथ बहते दिखे एक दर्जन से ज्यादा पशुओं के शव, उठे सवाल

रविवार को एक बार फिर शव की पुनरावृति हुई| इस बार मानव का शव तो नही दिखा, लेकिन गंगा के पवित्र नदी में एक साथ दर्जनों पशुओं का शव बहते दिखा |

● गंगा व ठोरा नदी के संगम के समीप मोक्षदायिनी में बह रहे थे शव
● अनुमंडल पदाधिकारी ने दिए कठोर निर्देश, कहा- घटना की पुनरावृत्ति नहीं होगी बर्दाश्त

बक्सर । कोरोना काल में गंगा में एक साथ सैकड़ों इंसानी शवों के बहते पाए जाने के बाद बक्सर की चर्चा पूरे भारत ही नहीं बल्कि, पूरे विश्व में भी हो गई थी।  इस बहुचर्चित मामले का किसी तरह पटाक्षेप किया गया लेकिन, गंगा में शवों के प्रवाह का सिलसिला अभी भी नहीं रुका है। 

रविवार को एक बार फिर शव की पुनरावृति हुई, इस बार मानव का शव तो नही दिखा, लेकिन गंगा के पवित्र नदी में एक साथ दर्जनों पशुओं का शव बहते दिखा|



हालांकि, गंगा में जो दर्जनों मवेशियों के शव बहते देखा गया,  माना जा रहा है कि शव पहले ठोरा नदी से बहते हुए गंगा नदी में चले आए हैं।  इस मामले के सामने आने के बाद स्थानीय लोगों के बीच हड़कंप का माहौल कायम हो गया। मामले में अनुमंडल पदाधिकारी धीरेंद्र कुमार मिश्र ने नमामि गंगे तथा नगर परिषद के साथ-साथ अंचलाधिकारी को आवश्यक कार्रवाई के निर्देश दिए हैं।

एक साथ इतने सारे मवेशियों के शव बहते देखे जाने पर ग्रामीणों से बात की गई। कुछ ग्रामीण तो यहां तक कहने लगे कि थोड़ा नदी में मछली मारने के लिए लोगों के द्वारा जहर डाला जाता है। संभवतः उसकी चपेट में आकर एक साथ दर्जनों मवेशियों की जान चली गई। 

उधर, मौके पर मौजूद एक मछली पालक का कहना है कि हाल-फिलहाल में गंगा नदी में शवों के प्रवाहित करने का जो सिलसिला चल रहा है, उसके कारण अब गंगा नदी की मछलियों को भी ग्राहक नहीं मिल रहे। जिसके कारण उनका व्यवसाय भी चौपट हो रहा है।

मामले में अनुमंडल पदाधिकारी ने बताया कि जैसे ही उन्हें इस बात की जानकारी मिली उन्होंने नमामि गंगे परियोजना से जुड़े अधिकारियों के साथ-साथ नगर परिषद के कार्यपालक पदाधिकारी तथा संबंधित अंचलाधिकारी को मामले को देखने के निर्देश दिए हैं, साथ ही यह कहा है कि इस तरह की घटना की पुनरावृति दोबारा बर्दाश्त नहीं की जाएगी। उन्होंने ठोरा नदी के पानी में ज़हर डालने की बात की भी जांच कराने का आश्वासन दिया।

नमामि गंगे योजना व अधिकारियों की कार्यशैली पर सवाल 

उधर, गंगा में मवेशियों के शवों के बहते पाए जाने के बाद नमामि गंगे परियोजना में गंगा स्वच्छता के नाम पर अरबों रुपये के व्यय किए जाने पर भी सवाल खड़े होने लगे हैं। सवाल यह भी उठ रहे हैं कि आखिर कैसे इतनी बड़ी संख्या में मवेशियों के शव गंगा नदी में बह रहे हैं? आखिर गंगा में शवों के प्रवाह को रोकने के लिए कोई ठोस कार्रवाई क्यों नहीं होती?