सीएम से लेकर मुख्य सचिव तक भले ही लोंगो को न्याय दिलाने के निर्देश देते रहें, लेकिन यह निर्देश जनपद में पहुंचते ही फेल होने जैसी स्थिति में दिखाई दे रही है|
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पीड़िता न्याय की गुहार लगाती, फोटो-pnp |
चंदौली । उत्तर प्रदेश में सीएम से लेकर मुख्य सचिव तक भले ही लोंगो को न्याय दिलाने के निर्देश देते रहें लेकिन जनपद में यह निर्देश पहुंचते ही फेल होने जैसी स्थिति दिखाई दे रही है। आलम यह है कि यहां पुलिस अधीक्षक के निर्देश को ही थानों की पुलिस नजरअंदाज करने लगी है।
आरोपियों की बातें सच मानें तो मामल यह है कि विगत 19/ 3/ 2022 को महड़ौरा गांव के भरपूरवा टेहरा पर महिलाओं के साथ छेड़खानी की गयी, जब उसका विरोध हुआ तो लाठी-डंडे से बुरी तरह मारा पीटा गया। जिसमें लड़कियों के साथ-साथ उनका परिवार चोटिल हुआ, इस पिटाई से एक लड़की की कंधे की हड्डी टूट गई।
मुकदमा दर्ज नहीं होने पर न्यायालय की शरण में गई पीड़िता
जब इस मारपीट के मामले में राधिका देवी अपनी पुत्री सितम राजभर को लेकर पुलिस अधीक्षक के दरबार में हाजिरी लगाई तो उन्होंने मामले को गंभीरता से लेते हुए तत्काल बलुआ पुलिस को फोन कर प्रकरण को देखने के लिए कहा। इसके बाद बलुआ पुलिस मामले को लिखित करने के लिए पीड़िता को अपने पास बुलाया। पीड़िता जब बलुआ पुलिस के पास गई तो वहां से उसे भगा दिया गया। यह भी बताया गया कि तुम्हारा मामला दर्ज हो गया है। पीड़िता का आरोप है कि उसका मामला दर्ज नहीं हुआ, बलुआ पुलिस की बात झूठी निकली। इसके बाद फिर पीड़िता पुनः मेडिकल मुआयना कराने के बाद दूसरी बार पुलिस अधीक्षक के पास गुहार लगाई तो तत्काल कप्तान साहब फोन से बलुआ पुलिस को निर्देशित किया, बावजूद बलुआ पुलिस का वही व्यवहार देखने को मिला। आरोप यह भी है कि थाने से पीड़िता को भगा दिया गया।
गरीब परिवार न्याय की उम्मीद लगाए दर-दर भटक रहा
ऐसी स्थिति में पीड़िता कोर्ट की शरण में जाने को मजबूर हो गयी। यह घटना 19/ 3 /2022 की है, इसे विशेष न्यायालय चंदौली में दाखिल किया गया है, तब न्यायालय द्वारा संज्ञान में लेते हुए बलुआ पुलिस से आख्या मांगीं गयी, इसमें भी पुलिस ने बड़ी बारीकी से बलुआ पुलिस अपराधियों खिलाफ 323, 504, 506 धाराओं में चार लोगों का उल्लेख की है। जबकि न्यायालय में छह लोगों के खिलाफ मामला है। न्यायालय ने धारा 325, 354 आईपीसी 7/8 पॉक्सो की धारा के लिए प्रार्थना पत्र पर विचार करने के लिए कहा है। इस घटना में आरोपी, पीड़ित परिवार को डरा धमका रहे हैं । यह गरीब परिवार भयभीत है और न्याय की उम्मीद लगाए दर-दर भटक रहा है।