बसपा प्रमुख व उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने कहा कि यूपी निकाय चुनाव को लेकर भाजपा की नियत व नीति ठीक नहीं है।
👉प्रदेश कार्यालय पर आयोजित उत्त्तर प्रदेश व उत्तराखंड संगठन कैडर की एक दिवसीय सम्मलेन को कर रहीं थीं सम्बोधित
लखनऊ। बसपा प्रमुख व उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने कहा कि भाजपा की नीयत व नीति अगर यूपी निकाय चुनाव को सही कानूनी तरीके से समय पर कराकर उसे टालने की नहीं होती तो वह धर्मान्तरण, मदरसा सर्वे आदि के ‘संघ तुष्टीकरण’ एजेण्डा को लागू करने में अपना समय व शक्ति को बर्बाद नहीं करती।
वे यहां शुक्रवार को प्रदेश कार्यालय पर आयोजित उत्त्तर प्रदेश व उत्तराखंड संगठन कैडर की एक दिवसीय सम्मलेन को सम्बोधित कर रहीं थीं। उन्होंने कहा कि भाजपा इसके बजाय निकाय चुनाव में ओबीसी आरक्षण सही से सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी पर अपना ध्यान केन्द्रित करती तो आज ऐसी विचित्र व दुःखद स्थिति पैदा नहीं होती।
क्या भाजपा दिल्ली नगर निगम की तरह ही चुनाव को टालते रहना चाहती ?
उन्होंने आगे कहा कि अब यूपी सरकार का विशेष उत्तरदायित्व है कि लोकतंत्र के हित में निकाय चुनाव पूरी संवैधानिक व कानूनी प्रक्रियाओं के साथ समय से हो, वरना सरकार की गलत नीतियों व कार्यशैली से त्रस्त जनता का यह सोचना गलत नहीं होगा कि भाजपा दिल्ली नगर निगम की तरह ही चुनाव को टालते रहना चाहती है।
मायावती ने भाजपा द्वारा जातिवादी द्वेष तथा यूपी में सोची-समझी रणनीति के तहत् मेयर आदि के लिए बहुप्रतीक्षित स्थानीय निकाय चुनाव समय से नहीं कराने व इसे टालते रहने के षडयंत्र पर उठे राजनीतिक उबाल पर कार्यकर्ताओं से फीडबैक लिया।
जीएसटी के सर्वे - छापेमारी व इन्सपेक्टर राज से व्यापारी परेशान
मायावती ने कहा कि भाजपा के खास रहे व्यापारी वर्ग भी जीएसटी के जंजाल से काफी तंग व बेहाल हो चुका है। अब व्यापारी वर्ग यूपी में भी जीएसटी के सर्वे - छापेमारी व इनके इन्सपेक्टर राज आदि से परेशान होकर आन्दोलन करने को मजबूर है।
मायावती ने कहा कि गरीबों की लाचारी व युवाओं की बेरोजगारी दूर करने, त्रस्त करती महंगाई को कम करने तथा लोगों के “अच्छे दिन’ लाने के सम्बंध में सरकार की कथनी व करनी में अन्तर व मिथ्या प्रचार आदि से लोगों में काफी निराशा हुयी है। देश के करोड़ों शिक्षित वर्ग रोजगार पाकर अपने थोड़े अच्छे दिन के लिए तरस रहे हैं। सरकारी वायदे व घोषणायें अब उन्हें चुभने लगी हैं।
सत्ता संघर्ष आज सबसे बड़ी चुनौती बन गई
ऐसे में खासकर बी.एस.पी. को उन्हें नये उम्मीद के किरण बनकर फिर से उभरना है, जिसके लिए पूरे तन, मन, धन से संघर्ष लगातार जारी रखना पड़ेगा। मायावती ने आगे कहा कि हर स्तर पर मिशनरी कैडर होने के बावजूद अपना उद्धार स्वंय करने योग्य बनने हेतु सत्ता संघर्ष आज सबसे बड़ी चुनौती बन गयी है, जिसको अपने तन, मन, धन के संघर्ष से पार पाना होगा ।
उन्होंने आगे कहा कि नववर्ष के प्रारंभ से ही आगामी लोकसभा आम चुनाव की तैयारी आदि को लेकर भी पार्टी के आगे की रणनीति तथा पार्टी के जनाधार को गाँव-गाँव में बढ़ाने हेतु ज़रूरी दिशा-निर्देश दी। मायावती ने ओबीसी आरक्षण मुद्दे पर भाजपा, कांग्रेस को आरक्षण की घोर विरोधी बताया।