शिक्षा विभाग की उदासीनता से विकास खण्ड चहनियां के कई विद्यालयों में बंटने वाला कार्य पुस्तिका किताब अभी तक नहीं पहुंचने का मामला प्रकाश में आया है, जबकि सत्र समाप्त होने में सिर्फ तीन- चार माह बचे हुए हैं।

बीआरसी पर खुद ही बाइक पर किताब लादते शिक्षक ,मथेला पर रखी गयी किताबें , Photo- PNP
बीआरसी पर खुद ही बाइक पर किताब लादते शिक्षक ,मथेला पर रखी गयी किताबें , Photo- PNP
👉बीईओ की लापरवाही से अभी तक नहीं बंटी कार्य पुस्तिकाएं,
चहनियां,चंदौली | शिक्षा विभाग की उदासीनता से विकास खण्ड चहनियां के कई विद्यालयों में बंटने वाला कार्य पुस्तिका किताब अभी तक नहीं बंटने का मामला प्रकाश में आया है, जबकि सत्र समाप्त होने में सिर्फ तीन- चार माह बचे हुए हैं। सूत्रों की बातें सच मानें तो किताबें विगत 5 माह से बीआरसी की शोभा बढ़ा रही हैं। इस दुर्व्यवस्था ने नौनिहालों का भविष्य दांव पर लगा दिया है ।
इस मामले में बीईओ की उदासीनता व लापरवाही मानीं जा रही है । शासन के निर्देश पर सभी विद्यालयों में खंड शिक्षा अधिकारी के माध्यम से कार्य पुस्तिका भेजवाने की व्यवस्था है । एक तरफ महानिदेशक स्कूल शिक्षा आदेश के क्रम में निपुण लक्ष्य की प्राप्ति करना है । किन्तु, चहनियां क्षेत्र में खण्ड शिक्षा अधिकारी की लापरवाही से विद्यालयों की किताब बीआरसी पर धूल फांक रहीं है ।
क्या यही है जिले की शिक्षा व्यवस्था !
बताया जाता है कि शासन स्तर से हर स्कूल पर पहुंचाने के लिए खण्ड शिक्षा अधिकारी को सरकारी भुगतान भी होता है। विद्यालयों पर किताब न पहुंचने पर कुछ अध्यापक खुद ही किताब बोरे में भरकर अपने वाहन पर लादकर ले जा रहे हैं। ग्रामीणों का कहना है कि ऐसे में बच्चों के पास समय से किताब ही नहीं पहुंच पाई है तो बच्चे पढ़ाई कैसे करेंगे ? क्या यही है जिले की शिक्षा व्यवस्था !
कुछ विद्यालय के शिक्षकों से बात किया गया तो बताया कि कार्य पुस्तिका की पुस्तक न मिलने के कारण बच्चों के अधिगम स्तर बढ़ाने में कठिनाई हो रही है । जबकि जुलाई में कुछ पुस्तकें आई थी । वह भी अध्यापक बीआरसी जाकर ले आये थे । जबकि शासन का स्पष्ट आदेश है कि खंड शिक्षा अधिकारी सभी विद्यालय पर पुस्तक भिजवाएं लेकिन अभी तक अध्यापक किताब को ढो रहे हैं ।
बीईओ की वजह से तो नहीं बच्चों का भविष्य दांव पर लग गया !
अब सवाल उठ रह है कि खंड शिक्षा अधिकारी की वजह से तो नहीं बच्चों का भविष्य दांव पर लग गया है । क्या सिर्फ पैसे बचाने के चक्कर में इसका खामियाजा अध्यापकों को झेलना पड़ रहा है ।चर्चा है कि अभी दो दिन पूर्व ही हमारा आंगन हमारे बच्चे कार्यक्रम में भी शिक्षा विभाग के महानिदेशक के निर्देशों की धज्जियां उड़ती दिखीं। यह कार्यक्रम ब्लाक संसाधन केंद्र पर कराना चाहिए था , मगर एक इंटर कालेज में करा दिया गया । किताबों के बाबत बीईओ चहनियां से संपर्क का प्रयास किया गया, लेकिन बातचीत नहीं हो पायी। जिससे उनका पक्ष यहां नहीं रखा जा रहा है।