माघी पूर्णिमा के अवसर पर सैकड़ों शृद्धालुओ ने बलुआ पश्चिम वाहिनीं गंगा तट प गंगा में आस्था की डुबकी लगायी |
चहनियां, चंदौली | । स्नान दान का सिलसिला भोर से ही शुरू हो गया था। माघी पूर्णिमा का लोगो ने परम्परा का निर्वहन किया । घरों में भी पूजन अर्चन हुआ ।
धार्मिक शास्त्रों में बताया गया है कि माघ पूर्णिमा के दिन स्नान व पूजन अर्चन से भगवान विष्णु का आशीर्वाद प्राप्त होता है । भगवान वासुदेव की कृपा से व्यक्ति को सुख ,सौभाग्य,धन व संतान की प्राप्ति होती है और मृत्यु के बाद मोक्ष की प्राप्ति होती है । माघ मास भगवान बिष्णु को अति प्रिय है । शास्त्रों के अनुसार श्री हरि गंगा जल में वास करते है । इसलिए इस दिन गंगा में स्नान करने का विशेष महत्व होता है ।
यह पूरे माघ महीने के स्नान,दान,पुण्डय,जाप एवं तप का आखिरी दिन है । शास्त्रों के अनुसार इस दिन चंद्रदेव अपनी सोलह कलाओं से परिपूर्ण होकर पृथ्वी पर अमृत की वर्षा करते है । इस दिन मां सरस्वती के स्वरूप ललिता महाविद्या की जयंती भी है । इसी दिन महान संत गुरु रविदास का भी जन्म हुआ था । होली से एक महीने पूर्व इस पूर्णिमा पर ही होली का डांडा लगाया जाता है ।
आज के दिन किया गया स्नान समस्त रोगों का नाश करके दैहिक,दैविक व भौतिक कष्टों से मुक्ति दिलाता है । इन्ही परम्पराओ का निर्वहन करते हुए रविवार को सैकड़ो लोगो ने स्नान दान किया । स्नान दान का सिलसिला भोर से ही शुरू हो गया । स्नान के पश्चात लोग घाट पर ब्राम्हणों व भिक्षुओं को दान किया ।
घरों में भी विधिवत ब्राम्हणों के द्वारा पूजन अर्चन किया । मंदिरों में भी पूजा किया गया । लोगो की मदद के लिए गंगा सेवा समिति के अध्यक्ष दीपक जायसवाल के नेतृत्व में समिति के लोग मदद करते रहे ।