आजादी की लड़ाई में भारतीयों ने जिस हिसाब से अंग्रेजों का सामना किया उससे सामाजिक विषमता के साथ-साथ एकरूपता भी दिखाई दे रही थी। क्रांतिकारियों ने भारत मां की जंजीर को काटने का प्रयास किया,उनमें शामिल चंद्रशेखर आज़ाद के शहादत को कभी भी भुलाया नहीं जा सकता |
🔷भाजपा के पूर्व जिला अध्यक्ष आज मचिया कला गांव में "आजाद समानता मंच" के बैनर तले आयोजित कार्यक्रम में बोले
चंदौली ।आजादी की लड़ाई में भारतीयों ने जिस हिसाब से अंग्रेजों का सामना किया उससे सामाजिक विषमता के साथ-साथ एकरूपता भी दिखाई दे रही थी।अपने-अपने दिमाग का प्रयोग करते हुए क्रांतिकारियों ने भारत मां की जंजीर को काटने का प्रयास किया ।
इस प्रयास में 25 वर्षीय चंद्रशेखर आजाद जी ने ब्राह्मणों को बगले झांकने पर मजबूर कर दिया | वे ब्राह्मणी व्यवस्था को छिन्न-भिन्न करते हुए उन्होंने आजादी की लड़ाई में अंग्रेजों के हाथ में नहीं पकड़े जाने का संकल्प लिया था को अंततः उनको विजय मिली अंग्रेजों को घुटनों पर बैठने पर मजबूर करा दिया |
उक्त बातें भाजपा के पूर्व जिला अध्यक्ष सुरेंद्र सिंह ने आज मचिया कला गांव में "आजाद समानता मंच" के बैनर तले आयोजित कार्यक्रम में कहीं। इस मौके पर तमाम वक्ताओं ने अपने-अपने विचार व्यक्त किए | अन्य वक्ताओं ने कहा कि चंद्रशेखर आजाद ने 13 वर्ष की उम्र में पिता के साथ बागी तेवर अख्तियार किया और 25 वर्ष की उम्र में उनकी शहादत को सर्वोपरि बताया गया |
एक वक्ता ने बड़े जोश के साथ कहा कि उन्हें जनेऊधारी कहने का तात्पर्य था, उनके ब्राह्मण होने के बाद भी उन्होंने क्रांतिकारियों की टीम में मां भारती के लिए अपनी कुर्बानी देना ही पुनीत कर्तव्य माना और उनकी शहादत के बाद पूरे देश में नौजवानों की एक लंबी श्रृंखला लड़ाई के लिए तैयार हो चुकी थी | अंग्रेज परेशान थे इतनी बड़ी गलती कैसे हो गई शेखर आजाद अपने ही गोली से अपनी कनपटी में दाग करआजादी के लिए आजाद होने का बिगुल फूंक दिया था ।
इसी क्रम में अन्य नेताओं ने जिसमें विशिष्ट अतिथि लोग भी थे शेखर आजाद की पूरी जीवनी पर प्रकाश डाला और समानता का अधिकार के लिए आजाद समानता अधिकार मंच की तरफ से सरकार से गरीब जनता के लिए विशेष शिक्षा में आरक्षण की मांग की गयी | कार्यक्रम शुभ आरंभ होने से पहले शहीद चंद्रशेखर आजाद के चित्र पर फूल माला चढ़ाकर श्रद्धांजलि दी।
कार्यक्रम में धनंजय सिंह, ओमप्रकाश तिवारी, धीरज सिंह ,दिलीप सोनकर, रामकृष्ण द्विवेदी, दिव्यांशु हिमांशु , सुनील यादव आदि ने अपने विचार व्यक्त किया | कार्यक्रम का संचालन अधिवक्ता शैलेंद्र पांडे कवि ने किया।