मौद्रिक नीति समिति की बैठक के बाद आरबीआई ने रेपो रेट को स्थिर रखते हुए महत्वपूर्ण राहत दी है। आरबीआई ने कहा कि बिना आवश्यक लोन के लंबे टेन्योर से बचना चाहिए। वहीं बैंकों को ऐसे मामलों की निगरानी करनी चाहिए।
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रिजर्व बैंक ने रेपो रेट को स्थिर रखा, घरेलू ऋण के टेन्योर पर चिंता बढ़ी |
हाइलाइट्स :-
🔷रेपो रेट में RBI ने कोई बदलाव नहीं किया है
🔷डिप्टी गवर्नर ने कहा कि अनिवार्य लोन के लंबे टेन्योर से बचना चाहिए
🔷आरबीआई जल्द दिशा-निर्देश जारी करेगा
🔷मौद्रिक नीति समिति की बैठक के बाद, गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि ऋणदाताओं को ग्राहकों को कर्ज अवधि और ईएमआई के बारे में स्पष्ट जानकारी देनी होगी
नई दिल्ली | कल, रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) ने लोन लेने वालों को एक महत्वपूर्ण सुविधा दी है। कल मौद्रिक नीति समिति (MPC) की बैठक के बाद आरबीआई ने रेपो रेट को लेकर बड़ा घोषणा किया। गुरुवार को आरबीआई ने लोगों को बड़ी राहत दी, रेपो रेट को स्थिर रखा।
रेपो रेट में आरबीआई ने कोई बदलाव नहीं किया है। यानी रेपो रेट 6.50% पर है। आरबीआई, हालांकि, होम लोन के टेन्योर को लंबे समय तक बढ़ाने से चिंतित है। इस बारे में डिप्टी गवर्नर एम राजेश्वर राव ने कहा कि बिना आवश्यक लोन के लंबे टेन्योर से बचना चाहिए। उनका कहना था कि कर्ज भुगतान की अवधि बढ़ाने का मामला हर व्यक्ति में अलग हो सकता है।
बैंकों को ऐसे मामलों को देखना चाहिए। उन्होंने कहा कि लोन की ईएमआई को कम करने के तरीके भी बैंक ग्राहक को बताने चाहिए। लोगों को इससे लोन के बोझ से राहत मिल सकेगी।
🔷बैंकों के सीईओ से मुलाकात
“यह बैंक बोर्ड को व्यक्तिगत उधारकर्ताओं की अवधि और प्री पेमेंट की क्षमता को ध्यान में रखते हुए निर्णय लेना है,” उन्होंने कहा।एम राजेश्वर राव ने कहा कि "हमने पहले ही बैंकों के सीईओ के साथ इस पर चर्चा की है और अपनी चिंताओं के बारे में बताया है।" उनका कहना था कि आरबीआई जल्द ही इसके बारे में विस्तृत निर्देश देगा।
एक पूर्व बैंकर का कहना है कि टेन्योर को बढ़ाने से मौद्रिक नीति के निर्णयों पर कम प्रभाव पड़ता है। कस्टमर को कोई परेशानी नहीं है। इसकी वजह यह है कि लोन लेने वालों को तुरंत बढ़ती हुई दरों का दबाव नहीं महसूस होता। ऐसे में घर लोन लेने वालों की संख्या बहुत अधिक है।
🔷बनाया जा रहा है फ्रेमवर्क
क्योंकि ब्याज दरें सर्कल में बदलती हैं, बैंकरों का कहना है कि टेन्योर को बढ़ाना चिंता का कारण नहीं होता है। यदि आरबीआई दरों को दो साल में कम करता है, तो लोन मूल टेन्योर में वापस आ जाएगा। आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने गुरुवार को मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की बैठक के बाद कहा कि लोगों को फ्लोटिंग या फिक्स्ड ब्याज दरों में से चुनाव करने के लिए नया फ्रेमवर्क बनाया जा रहा है।
इसके तहत, ऋणदाताओं को कर्ज अवधि और ईएमआई के बारे में ग्राहकों को स्पष्ट जानकारी देनी होगी। फ्लॉटिंग से निश्चित ब्याज दर का विकल्प चुनने या कर्ज को समय से पहले खत्म करने का विकल्प देने के साथ लगने वाले शुल्क की जानकारी भी स्पष्ट रूप से दी जानी चाहिए।