Aaj Ka Panchang (दैनिक पंचांग) 15 अगस्त 2023: मंगलवार को सावन अधिकमास की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि है। इस तिथि पर पुष्य नक्षत्र और व्यतिपाता योग होगा। अभिजीत मुहूर्त 11:59 से 12:51 तक रहेगा। चंद्रमा कर्क राशि में रहेगा।
वैदिक पंचांग हिंदू पंचांग है। पंचांग समय और काल की सटीक गणना करता है। पंचांग में मुख्य रूप से पांच भाग होते हैं। तिथि, नक्षत्र, वार, योग और करण ये पांच अंग हैं। यहां हम आपको दैनिक पंचांग में शुभ मुहूर्त, राहुकाल, सूर्योदय और सूर्यास्त का समय, तिथि, करण, नक्षत्र, सूर्य और चंद्र ग्रह की स्थिति, हिंदूमास और पक्ष की जानकारी देते हैं।
15 अगस्त 2023 को श्रावण (अधिक) तिथि और कृष्णपक्ष चतुर्दशी का नक्षत्र
तिथि -चतुर्दशी 12 :43
आज का पक्ष: कृष्ण
वार-मंगलवार
नक्षत्र -पुष्य 13 :55
प्रथम करण: सकुना 12 :43
द्वितीय करण : चतुष्पदा -25 :54
योग -व्यतिपाता 17 :26 तक
सूर्योदय -05 :53 AM
सूर्यास्त -18 : 56 PM
चंद्रमा -मिथुन राशि
राहुकाल -15 :41 − 17 :1 9
हिंदू मास और वर्ष
शक संवत - 1945 शुभ
विक्रम संवत -2080
मास - श्रावण (अधिक मास )
अभिजीत मुहूर्त :11:59 से 12:51 मिनट तक
आज दिशा शूल : उत्तर दिशा
पंचांग में पांच भाग हैं
तिथि -हिंदू काल गणना में तिथि का अर्थ है जब 'चन्द्र रेखांक' को 'सूर्य रेखांक' से बारह अंश ऊपर जाने का समय लगता है। एक महीने में तीस तिथियां हैं, जो दो भागों में विभाजित हैं। पूर्णिमा शुक्ल पक्ष की अंतिम तिथि है, अमावस्या कृष्ण पक्ष की अंतिम तिथि है।
प्रतिपदा,-द्वितीया, तृतीया, चतुर्थी, पंचमी, षष्ठी, सप्तमी, अष्टमी, नवमी, दशमी, एकादशी, द्वादशी, त्रयोदशी, चतुर्दशी, अमावस्या या पूर्णिमा हैं।
ग्रह: नक्षत्रों का समूह आकाश मंडल में तारे हैं। इसमें 27 नक्षत्र हैं, जिनमें से नौ ग्रहों का स्वामित्व है। अश्विन, भरणी, कृत्तिका, रोहिणी, मृगशिरा, आर्द्रा, पुनर्वसु, पुष्य, आश्लेषा, मघा नक्षत्र, पूर्वाफाल्गुनी नक्षत्र, उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र, हस्त नक्षत्र, चित्रा नक्षत्र, स्वाति नक्षत्र, विशाखा नक्षत्र, अनुराधा नक्षत्र, ज्येष्ठा नक्षत्र, मूल नक्षत्र, पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र,
वॉर: वार दिन से है। एक सप्ताह में सात वार दिन होता है। इन सात वारों के नाम सोमवार, मंगलवार, बुधवार, गुरुवार, शुक्रवार, शनिवार और रविवार हैं ।
नक्षत्र : नक्षत्रों की भांति योग भी 27 हैं। योग, सूर्य और चंद्र की विशेष दूरियों पर स्थितियों का नाम है। विष्कुम्भ, प्रीति, आयुष्मान, सौभाग्य, शोभन, वरीयान, परिघ, शिव, सिद्ध, साध्य, शुभ, शुक्ल, ब्रह्म, इन्द्र और वैधृति, अतिगण्ड, सुकर्मा, धृति, शूल, गण्ड, वृद्धि, ध्रुव, व्याघात, हर्षण, वज्र, सिद्धि, व्यातीपात हैं, जो दूरियों के आधार पर बनते हैं।
करण : एक तिथि दो करण है। एक तिथि के पूर्वार्ध और उत्तरार्ध में कुल 11 करण हैं: बव, बालव, कौलव, तैतिल, गर, वणिज, विष्टि, शकुनि, चतुष्पाद, नाग और किस्तुघ्न। भद्रा में शुभ कार्य करना वर्जित है और इसे विष्टिकरण कहते हैं।
( इस रिपोर्ट में फेमस व चर्चित किताबों के अध्ययन व प्रकांड ज्योतिषीय विद्वानों से बातचीत पर आधारित है। यह जानकारी / गणना / सामग्री या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। लेख किसी तरह के दावा का समर्थन नहीं करता है, यह मात्र एक साधारण जानकारी है, जो आप तक पहुंचाई गई है) |