Trending News : Chandrayaan-3, विक्रम व प्रज्ञान के नाम लैंडर और रोवर क्यों रखे गए?

Trending News : Chandrayaan-3, विक्रम व प्रज्ञान के नाम लैंडर और रोवर क्यों रखे गए?

चंद्रयान-03 जब चंद्रमा पर पहुंचते ही इसके दो यंत्र सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण हो जाएंगे| दरअसल, यही दो यंत्र चंद्रमा पर रिसर्च और वैज्ञानिक गतिविधियों का काम करने लगेंगे |  इनके नाम लैंडर विक्रम और रोवर प्रज्ञान क्यों रखे गए| आइए जानते हैं... | 

Trending News : Chandrayaan-3, विक्रम व प्रज्ञान के नाम लैंडर और रोवर क्यों रखे गए?


हाइलाइट्स

🔷चंद्रयान-2 के लैंडर और रोवर के नाम भी विक्रम और प्रज्ञान रखे गए थे, लेकिन मिशन अंततः समाप्त हो गया

🔷चंद्रयान-3 में इसी नाम को फिर से रखा गया है ताकि मिशन सफल होने पर दोनों चांद पर काम करें


चंद्रयान-3 के लैंडर और रोवर के नाम विक्रम और प्रज्ञान हैं। लैंडर को विक्रम नाम दिया गया है, और चांद की सतह पर उतरने के बाद निकलने वाले रोवर को प्रज्ञान नाम दिया गया है। यह नाम फिर से लिया गया है क्योंकि पहले मिशन चांद की सतह पर काम नहीं कर पाया था।

चंद्रयान-2 के पिछले गिरने और नष्ट होने से विक्रम और प्रज्ञान काम ही नहीं कर पाए। अब इसरो ने चंद्रयान-3 में ऐसी तकनीक बनाई है कि यान सतह पर तभी उतरेगा जब उसे उतरने योग्य जगह मिल जाएगी। इसके लिए इसमें अतिरिक्त ईंधन भी लगाया गया है।

वास्तव में, चंद्रयान-3 मिशन का मुख्य लक्ष्य चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर पहुँचना और उसकी सतह की जानकारी जुटाना है। वैज्ञानिकों का मानना है कि चंद्रमा की इस सतह पर पानी की बर्फ और धूप की प्रचुरता है।

माना जाता है कि मंगल मिशन के लिए इसका अध्ययन बहुत उपयोगी होगा। चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर पहुंचने का साहस इससे पहले किसी और स्पेस एजेंसी ने नहीं किया है, जो इस मिशन की एक और खूबी है।


क्या है लैंडर विक्रम और उसका उद्देश्य?


विक्रम लैंडर सॉफ्ट लैंडिंग के बाद काम करना शुरू कर देगा। ये इसरो को लैंडिंग के कुछ मिनट बाद पहली तस्वीर भेजेगा। फिर ये चांद पर रहते हुए काम करता रहेगा। तीन घंटे के बाद रोवर यान से बाहर निकलेगा। लैंडर चंद्रमा पर वैज्ञानिक काम करेगा।

रोवर प्रज्ञान क्या है और इसका उद्देश्य क्या है?

लैंडर विक्रम चंद्रमा की सत्ह पर सौर शक्ति से संचालित रोवर प्रज्ञान को लॉंच करेगा। ये रोवर छह पहियों पर चलेगा और 1 सेमी प्रति सेकंड की रफ्तार से करीब 500 मीटर की दूरी तय करेगा। रोवर सत्ह पर केमिकल विश्लेषण करके डेटा लैंडर को भेजा जाएगा। ये डेटा इसरो के अंतरिक्ष स्टेशन पर लैंडर से पहुंचेंगे। चंद्रमा के एक दिन या पृथ्वी के हिसाब से चौबीस दिनों तक रोवर प्रज्ञान सक्रिय रहेगा।

नामकरण का मूल क्या है?

लैंडर का नाम विक्रम रखा गया क्योंकि इस शब्द का अर्थ वीरता और साहस है। दुनिया की कोई स्पेस एजेंसी चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर एक मिशन शुरू करने का यह पहला मौका है। दूसरी बात यह है कि लैंडर को विक्रम नाम देने का उद्देश्य वैज्ञानिक विक्रम साराभाई को सम्मान देना है। भारतीय अंतरिक्ष विज्ञान कार्यक्रमों का जन्मदाता भी विक्रम साराभाई है।

वहीं, रोवर का नाम "प्रज्ञान" विवेक और बुद्धि से जुड़ा था। यह रोवर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) की उन्नत तकनीक का उपयोग करता है, जो चंद्रमा की सत्ह पर केमिकल अध्ययन करके डेटा तैयार करेगा. इसलिए इसे नाम दिया गया है। इसे प्रज्ञान कहा जाता है क्योंकि यह इंटेलिजेंस को रेखांकित करता है।


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