पीएम विश्वकर्म योजना मजदूरों की आंख में धूल झोंकना है। इस योजना के तहत पूरे देश में महज 30 लाख श्रमिकों को एक लाख रुपए कर्ज देना ऊंट के मुंह में जीरा है।
👉 ई-श्रम पंजीकृत श्रमिकों को लाभार्थी घोषित करने की मांग
चंदौली | विश्वकर्मा दिवस के अवसर पर प्रधानमंत्री द्वारा उद्घाटित की गई पीएम विश्वकर्म योजना मजदूरों की आंख में धूल झोंकना है। इस योजना के तहत पूरे देश में महज 30 लाख श्रमिकों को एक लाख रुपए कर्ज देना ऊंट के मुंह में जीरा है।
आईपीएफ राज्य कार्य समिति सदस्य अजय राय ने कहा ई-श्रम पोर्टल पर पंजीकृत मजदूरों को लाभार्थी का दर्जा देने और उनके लिए आयुष्मान कार्ड, आवास, पेंशन, बीमा, पुत्री विवाह अनुदान, कौशल विकास प्रशिक्षण और मुफ्त शिक्षा हैं लेकिन उत्तर प्रदेश में भाजपा की सरकार बनने के बाद निर्माण मजदूरों के हितों के लिए चलाई जा रही बहुत सारी योजनाओं को बंद कर दिया गया।
ऐसी स्थिति में जब देश में बेरोजगारी बेइंतहा बढ़ रही है और छोटे, मध्यम, कुटीर उद्योग बर्बाद हो रहे हैं तब मोदी सरकार को चाहिए था कि वह इस योजना के तहत मजदूरों को बिना ब्याज के कम से कम 10 लख रुपए कर्ज देता जिससे वे अपनी आजीविका का इंतजाम कर सकते।यह नहीं हुआ तो इसका भी अंजाम स्टार्टअप, मेक इन इंडिया, कौशल विकास योजना की तरह ही फ्लॉप होगा।
यहां तक कि उनके पेंशन के अधिकार को भी छीन लिया गया और जो योजनाएं चल भी रही हैं उनमें मजदूरों के भुगतान लंबित पड़े हुए हुए हैं। सरकार ने आदेश दे दिया है कि अब बिना जांच के किसी भी बिल्डर के खिलाफ एफआईआर दर्ज नहीं होगी। परिणाम स्वरूप मजदूरों की बकाया मजदूरी रखने वाले लोगों के खिलाफ कार्रवाई होना मुश्किल हो गया है।
पहले ही सरकार ने श्रम विभाग से जांच के अधिकार को छीन लिया और अब उत्पीड़न पर पुलिस के अधिकार पर भी रोक लगा दी गई है। सभा में 12 अक्टूबर को लखनऊ में आयोजित प्रदेश स्तरीय सम्मेलन को सफल बनाने की योजना भी बनाई जा रही हैं !