सीएम योगी ने प्रदेशवासियों को दी बसंत पंचमी की बधाई, कहा- प्रकृति प्रेम को समर्पित..., क्या आप जानते हैं क्यों मनाया जाता है यह त्योहार?

सीएम योगी ने प्रदेशवासियों को दी बसंत पंचमी की बधाई, कहा- प्रकृति प्रेम को समर्पित..., क्या आप जानते हैं क्यों मनाया जाता है यह त्योहार?

सीएम योगी ने अपने ट्वीट में लिखा विद्या, बुद्धि और विद्या की अधिष्ठात्री देवी मां सरस्वती की आराधना और प्रकृति प्रेम को समर्पित 'बसंत पंचमी' के पावन पर्व पर हार्दिक बधाई और सबको शुभकामनाएं।


लखनऊ /वाराणसी|  सीएम योगी ने प्रदेशवासियों को बसंत पंचमी की हार्दिक बधाई दी है | सीएम योगी ने अपने ट्वीट में लिखा विद्या, बुद्धि और विद्या की अधिष्ठात्री देवी मां सरस्वती की आराधना और प्रकृति प्रेम को समर्पित 'बसंत पंचमी' के पावन पर्व की हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं! माँ सरस्वती सभी की मनोकामनाएँ पूर्ण करें, सर्वत्र सुख, समृद्धि, शिक्षा एवं प्रगति का वास हो।


सीएम ने आज बसंत पंचमी के शुभ अवसर वाराणसी के मोक्षनगरी काशी में सीर गोवर्धनपुर स्थित श्री गुरु रविदास जन्मस्थान मंदिर में पूजा-अर्चना किया। कहा कि समरस समाज के निर्माण में पूज्य संत रविदास जी का योगदान अविस्मरणीय है।

बता दें कि आज देशभर में बसंत पंचमी का त्योहार मनाया जा रहा है. बसंत पंचमी का धार्मिक के साथ-साथ सामाजिक महत्व भी है। बसंत पंचमी जीवन में नई चीजें शुरू करने का एक शुभ दिन है। इस ऋतु में पेड़ों पर नई कोपलें आना शुरू हो जाती हैं।

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन मां सरस्वती प्रकट हुई थीं, इसलिए इस दिन वसंत पंचमी पर देवी सरस्वती की विशेष पूजा का आयोजन किया जाता है। मां सरस्वती को ज्ञान और बुद्धि की देवी माना जाता है।

भगवान ब्रह्मा के कमंडल से निकले जल से वाग्देवी प्रकट हुईं!


हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, भगवान ब्रह्मा ने इसी दिन ब्रह्मांड का निर्माण किया था। सृष्टि की रचना करने के बाद जब उन्होंने संसार पर दृष्टि डाली तो उन्हें सब कुछ वीरान और वीरान नजर आया। माहौल बिल्कुल शांत लग रहा था |  तब ब्रह्मा जी ने भगवान विष्णु से अनुमति ली और अपने कमण्डलु से जल पृथ्वी पर छिड़का। जल छिड़कने पर देवी हाथ में वीणा लेकर प्रकट हो गईं। मां के प्रकट होने का पर्व पूरे देश में बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है।

धार्मिकता के साथ-साथ इस पर्व का पर्यावरणीय महत्व भी है। इस ऋतु में मौसम की चाल बदलने लगती है। रात भी अच्छी होने लगी है. नव पल्लव के साथ जलवायु परिवर्तन स्पष्ट रूप से दिखाई देने लगता है। ठंड में मुरझाते पेड़-पौधे और फूल आंतरिक अग्नि को प्रज्वलित कर नई सृजन की ओर अग्रसर होते हैं। खेतों में फसलें वातावरण को खुशनुमा बनाती हैं।


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