मुगलसराय में सैप्टिक टैंक की सफाई कर रहें सफाई कर्मियों के मौत पर आईपीएफ नेता अजय राय ने दुःख प्रकट किया और मुआवजा की उठाई मांग |
चंदौली, पूर्वांचल न्यूज प्रिंट | मोदी जी स्वच्छता अभियान के प्रचार प्रसार पर जितना पैसा खर्च किया गया हैं य़दि यह पैसा गटर सफाई के लिए मशीनों को खरीदने तथा सफाई के लिए मशीनों के खरीदने तथा सफाई कार्य का मशीनरी करण एवं आधुनिकीकरण पर खर्च किया होता तो प्रतिवर्ष हजारों की संख्या में गटर सफाई के दौरान मरने वाले सफाई कर्मचारी की जान बच सकती थी |
उक्त बातें आईपीएफ राज्य कार्य समिति सदस्य अजय राय ने चंदौली के मुगलसराय मे लाठ नं दो में सैप्टिक टैंक की साफ सफाई करते तीन सफाई कर्मी व एक भुस्वामी के लड़के की मौत की जानकारी लेने के बाद अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा ! उन्होंने कहा कि जब तक सफाई के क्षेत्रों में मशीनीकरण व आधुनिकीकरण का प्रयोग नहीं होगा तब तक सफाई कर्मचारी की सरकारी हो या निजी क्षेत्र में मोत का सिलसिला जारी रहेगा |
आज भी जंहा इस कार्य का आधुनिकीकरण व मशीनीकरण की जरूरत सरकार भी नहीं समझती हैं और चेतना के अभाव में सफाई करने वाले दलित भी नहीं समझते हैं ! नगर पंचायत , नगरपालिका व नगर महापालिका में आज भी शुष्क टट्टियां ,गटर व नालियों की सफाई हाथ से या फरसे से किया जाता हैं न तो नाक ढकने के लिए पट्टी और और न ही गम बूट्स दिया जाता हैं जबकि विदेशों में सफाई कर्मचारी ही सफाई करते हैं लेकिन मशीनों और उपकरण का प्रयोग होता हैं इसलिए सफाई कर्मचारी खतरों से बचें रहते हैं |
मोदी जी की सरकार कहते हैं कि स्वच्छता अभियान हमारे सरकार की प्रमुख उपलब्धि हैं और इस अभियान के नाम पर विदेशों से पैसा बहुत लिए हैं या तो आयकर दाताओं से लिया टैक्स का पैसा जमकर खर्च कर रहें है ! लेकिन जमीनी हकीकत यह हैं कि या तो उनका स्वच्छता अभियान का जगह जगह पोस्टर टंगे हैं या तो साफ जगह में साफ करते फोटो छाप रहें हैं |
अगर सफाई के लिए जंहा नगर पंचायत , नगर पालिका व नगर महापालिका में आधुनिक मशीनें उपलब्ध कराते तो निजी लोगों को घर की गटर की सफाई के लिए भी सफाई कर्मी मशीनों का प्रयोग करते तो उनकी मौत नहीं होती और सरकारी क्षेत्रों में मी गटर की सफाई करने से मौतें व नालियों की सफाई हाथ से करने से बिमारी भी नहीं होती |
ज्यादातर र्सफाई कार्य में सरकारी क्षेत्रों में ठेका प्रथा में होती हैं इसे रोकी जा सकती थी। इसके लिये जब तक सफाई कर्मचारी लामबन्द हो कर संघर्ष नहीं करेंगे तब तक सफाई कार्य का मशीनीकरण एवं आधुनिकीकरण होने वाला नहीं है। इसके बारे में फैसला सफाई कर्मचारियों को ही करना है। उन्हें बाबासाहेब का "भन्गी झाड़ू छोड़ो" नारा हमेशा याद रखना चाहिये।
याद रखिये बाबासाहेब ने कहा था,"छिने हुए अधिकार जालिमों के आगे हाथ जोड़ने से नहीं मिलते, उन्हें तो निरंतर संघर्ष करके छीनना पड़ता है।" इसलिए सफाई कर्मचारी को ही सफाई क्षेत्र का आधुनिकीकरण व मशीनरी करण की मांग उठानी होगी !