प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना चंदौली में भी क्यों हुई असफल ,आईपीएफ नेता अजय राय ने उठाया सवाल ?

प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना चंदौली में भी क्यों हुई असफल ,आईपीएफ नेता अजय राय ने उठाया सवाल ?

सांसद और केंद्रीय भारी उद्योग मंत्री जी युवाओं को जो बहुचर्चित प्रधानमंत्री जी की प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना पूर्णतयः असफल क्यों साबित हुई है ?  
प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना चंदौली में भी क्यों हुई असफल ! आईपीएफ नेता अजय राय ने उठाया सवाल ?

 कौशल विकास योजना के तहत रोजगार में विफलता पर क्या केंद्रीय भारी उद्योग मंत्री जबाव देंगे ? 

पूर्वांचल न्यूज़ प्रिंट / लखनऊ । चंदौली लोकसभा चुनाव में क्या यह सवाल नहीं उठना चाहिए कि 2014 से अब तक कई मंत्रालय संभाल रहें चंदौली सांसद और केंद्रीय उद्योग मंत्री जी युवाओं को जो बहुचर्चित प्रधानमंत्री जी की प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना पूर्णतयः असफल क्यों साबित हुई है। उक्त बातें उठाते हुए आईपीएफ राज्य कार्य समिति सदस्य अजय राय ने कही | 

प्रधानमंत्री की यह महत्वाकांक्षी परियोजना 2014 में एनडीए सरकार द्वारा शुरू किया गया था। 2 अक्टूबर 2016 को 12000 करोड़ रू0 के बजट से चार वर्ष में एक करोड़ युवाओं को स्किल डेवलपमेंट का लक्ष्य लेकर उन्हें रोजगार देने की यह योजना बुरी तरह फ्लाप हुई है। हाल में जारी आकड़ों के अनुसार 2 अक्टूबर से 16 मार्च 2017 तक इस योजना के लिए एनएसडीसी को 2885 करोड़ धनराशि ट्रांसफर की गई और 30.67 लाख युवाओं को ट्रेंड किया गया, लेकिन प्लेसमेंट सिर्फ 2.90 लाख युवाओं को मिला, वह भी बेहद कम मजदूरी पर। दरअसल इस योजना को फेल होना ही था। 

आप खुद मानव संसाधन विकास मंत्रालय के आंकड़े पर गौर करें, जिसके अनुसार देश भर में 6214 इंजीनियरिंग कालेजों में 29 लाख इंजीनियरिंग छात्र पढ़ाई कर रहे हैं। लगभग हर साल लगभग 7 लाख इंजीनियरिंग ग्रेजुएट बन रहे हैं। डिप्लोमा इंजीनियर्स की संख्या इससे कहीं ज्यादा ही होगी और अगर इसमें आईटीआई कोर्स को भी जोड़ लें तो तो यह संख्या कम से कम 25 लाख से कम नहीं होगी।

प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना चंदौली में भी क्यों हुई असफल ! आईपीएफ नेता अजय राय ने उठाया सवाल ?

 इसका मतलब है कि इतनी संख्या प्रति वर्ष पहले से ही हर तैयार हो रही है जोकि स्किल डेवलपमेंट प्रोग्राम से कहीं ज्यादा स्किल हैं और बीटेक डिग्री धारी युवाओं को भी दिल्ली, बंगलौर जैसे महानगरों में 10-15 हजार रू0 सैलरी पर 12 घण्टे तक काम लिया जाता है, तब आपके नये हुनरमंद को कौन पूंछता। 

बेरोजगारी को दूर करने के लिए ठोस कार्ययोजना बनाने के बजाय हवा-हवाई बाते ज्यादा की गई। दरअसल बेरोजगारी दूर करने के लिए यह जरूरी होता कि कारपोरेट वित्तीय पूंजी को दी जा रही खुली छूट पर रोक लगाई जाती, लघु-कुटीर उद्योगों का संरक्षण होता और खेती-बाड़ी पर निवेश बढ़ा कर किसानों के हितों की रक्षा की जाती लेकिन सारी योजनायें बड़ी पूंजी के हित में संचालित की गईं, जिसका नतीजा बेरोजगारी संकट के बतौर है। 

उ0प्र0 में भी योगी सरकार, मोदी जी की ही तरह हर बार बयानबाजी कर रही है कि 5 साल में 70 लाख रोजगार पैदा करेंगे, हालांकि हर साल में  रोजगार पैदा होने के बजाय खत्म ही हुए है और चयन का सारा कामकाज जानबूझ कर बाधित है। युवा इस चुनाव में सवाल उठा रहें और तो और यह सब आंकड़े इनके मानव संसाधन विकास मंत्रालय में मंत्री रहते समय का हैं, इसलिए चंदौली जनपद के युवाओं को जबाव देना चाहिए | 

उन्होंने कहा कि चंदौली सांसद जी 2014 में मानव संसाधन विकास मंत्रालय व 2019 में भारी उद्योग मंत्रालय आप के हाथ था | प्रधानमंत्री जी की महात्वाकांक्षी योजना फेल क्यों हुई और चंदौली जनपद के जो लोग इस योजना के तहत रोजगार की उम्मीद लगाए थे, उनको क्या मिला ? वहीं इस योजना में अपनी जमापूंजी लगा दिए थे, उनकी नुकसान का कौन जबाव देह होगा ? 

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