पूर्वांचल की बदहाली का इतिहास कई दशकों पुराना है। स्वतंत्रता के बाद से ही इस क्षेत्र ने विकास के मामले में धीमी प्रगति की है।
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जीत बहादुर गौतम अधिवक्ता, उच्च न्यायालय इलाहाबाद, पूर्वांचल राज्य संगठन का सदस्य |
पूर्वांचल का एक साधारण सा परिचय :-
उत्तर प्रदेश का पूर्वी क्षेत्र, भारतीय उपमहाद्वीप के सबसे समृद्ध सांस्कृतिक और ऐतिहासिक क्षेत्रों में से एक है। गंगा, घाघरा, और सोन जैसी नदियों से घिरा हुआ यह क्षेत्र कृषि, उद्योग, और सांस्कृतिक धरोहरों के लिए प्रसिद्ध है। बावजूद इसके, आज पूर्वांचल बदहाल और विकास की दौड़ में पिछड़ा हुआ नजर आता है। इस रिपोर्ट में, हम पूर्वांचल की बदहाली के विभिन्न पहलुओं पर चर्चा करेंगे और उनके कारणों का विश्लेषण करेंगे।
ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य:-
पूर्वांचल की बदहाली का इतिहास कई दशकों पुराना है। स्वतंत्रता के बाद से ही इस क्षेत्र ने विकास के मामले में धीमी प्रगति की है। इसके ऐतिहासिक संदर्भ में देखा जाए तो, ब्रिटिश काल में पूर्वांचल को उसकी कृषि उपज के लिए जाना जाता था, लेकिन औद्योगिक विकास की कमी ने इस क्षेत्र को पिछड़ा बनाए रखा। आजादी के बाद भी सरकारों की नीतियां इस क्षेत्र के समग्र विकास पर ध्यान केंद्रित नहीं कर पाईं।
आर्थिक स्थिति:-
पूर्वांचल की आर्थिक स्थिति बदहाल होने के मुख्य कारणों में से एक है कृषि पर अत्यधिक निर्भरता। यहां के अधिकांश लोग कृषि पर निर्भर हैं, लेकिन आधुनिक तकनीकों और साधनों की कमी के कारण कृषि की उत्पादकता अपेक्षित स्तर पर नहीं है। इसके अतिरिक्त, बाढ़ और सूखा जैसी प्राकृतिक आपदाएं अक्सर फसलों को नुकसान पहुंचाती हैं, जिससे किसानों की आर्थिक स्थिति और भी कमजोर हो जाती है।
औद्योगिक विकास की कमी:-
पूर्वांचल में औद्योगिक विकास की गंभीर कमी है। यहाँ के छोटे-मोटे उद्योग, जैसे हथकरघा और हस्तशिल्प, पारंपरिक रूप से महत्वपूर्ण रहे हैं, लेकिन इनका आधुनिक औद्योगिक प्रतिस्पर्धा में टिक पाना कठिन हो गया है। बड़े उद्योगों की कमी के कारण यहाँ रोजगार के अवसर भी सीमित हैं, जिससे बेरोजगारी की समस्या और बढ़ जाती है। सरकार द्वारा स्थापित कुछ उद्योग भी भ्रष्टाचार और कुप्रबंधन के कारण अपेक्षित परिणाम नहीं दे पाए।
शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाएं:-
पूर्वांचल में शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं की स्थिति चिंताजनक है। यहाँ की शिक्षा व्यवस्था बुनियादी ढांचे की कमी और शिक्षकों की अनुपस्थिति से प्रभावित है। स्कूलों और कॉलेजों की संख्या कम है, और जो हैं भी, वे पर्याप्त संसाधनों से लैस नहीं हैं। स्वास्थ्य सेवाओं की स्थिति भी दयनीय है; प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र और अस्पतालों की कमी के कारण लोगों को बेसिक स्वास्थ्य सेवाओं के लिए भी संघर्ष करना पड़ता है।
सामाजिक समस्याएं:-
पूर्वांचल की बदहाली में सामाजिक समस्याओं का भी महत्वपूर्ण योगदान है। यहाँ जाति-आधारित भेदभाव और सामाजिक असमानता व्यापक रूप से फैली हुई है। महिलाएं और दलित समुदाय विशेष रूप से इन सामाजिक समस्याओं से प्रभावित होते हैं। इसके अतिरिक्त, बाल विवाह, दहेज प्रथा, और घरेलू हिंसा जैसी समस्याएं भी यहाँ आम हैं।
प्रशासनिक और राजनीतिक विफलताएं:-
पूर्वांचल की बदहाली में प्रशासनिक और राजनीतिक विफलताओं का भी बड़ा हाथ है। भ्रष्टाचार, कुप्रबंधन, और राजनैतिक अस्थिरता ने यहाँ के विकास को गंभीर रूप से प्रभावित किया है। सरकारी योजनाओं का सही से क्रियान्वयन न होने के कारण आम जनता को उनका लाभ नहीं मिल पाता। इसके अलावा, क्षेत्रीय राजनीति और वोट बैंक की राजनीति ने भी यहाँ के समग्र विकास को बाधित किया है।
बुनियादी ढांचे की कमी:-
पूर्वांचल में बुनियादी ढांचे की कमी एक और प्रमुख समस्या है। यहाँ की सड़कें, बिजली आपूर्ति, और जल निकासी की स्थिति अत्यंत खराब है। ग्रामीण क्षेत्रों में सड़कें कच्ची और अविकसित हैं, जिससे आवागमन में कठिनाई होती है। बिजली की अनियमित आपूर्ति और जल निकासी की अपर्याप्त व्यवस्था से जनजीवन प्रभावित होता है।
प्राकृतिक आपदाएं:-
पूर्वांचल प्राकृतिक आपदाओं से भी प्रभावित होता रहा है। बाढ़ और सूखा यहाँ के प्रमुख समस्याएं हैं, जो नियमित अंतराल पर आती रहती हैं। बाढ़ के कारण फसलें बर्बाद हो जाती हैं और जनजीवन अस्त-व्यस्त हो जाता है, जबकि सूखे के कारण पानी की कमी और फसल उत्पादन में गिरावट आती है।
कृषि समस्याएं:-
पूर्वांचल की कृषि समस्याएं भी बदहाली का एक महत्वपूर्ण कारण हैं। कृषि के लिए उन्नत तकनीकों और संसाधनों की कमी के कारण यहाँ की कृषि उत्पादकता कम है। इसके अलावा, सरकार की कृषि नीतियों का सही से क्रियान्वयन न होने के कारण किसान आर्थिक रूप से कमजोर हैं। फसल बीमा और ऋण सुविधाओं का अभाव भी यहाँ की कृषि समस्याओं को बढ़ाता है।
रोजगार की कमी:-
पूर्वांचल में रोजगार की कमी एक गंभीर समस्या है। औद्योगिक विकास की कमी के कारण यहाँ रोजगार के अवसर सीमित हैं। युवा वर्ग को बेहतर रोजगार के लिए महानगरों की ओर पलायन करना पड़ता है, जिससे क्षेत्र की आर्थिक स्थिति और कमजोर हो जाती है। इसके अलावा, यहां के लघु उद्योगों और कुटीर उद्योगों को भी पर्याप्त सरकारी सहयोग नहीं मिल पाता, जिससे रोजगार सृजन की प्रक्रिया बाधित होती है।
निष्कर्ष:-
पूर्वांचल की बदहाली के कई कारण हैं, जिनमें आर्थिक स्थिति, औद्योगिक विकास की कमी, शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं की स्थिति, सामाजिक समस्याएं, प्रशासनिक और राजनीतिक विफलताएं, बुनियादी ढांचे की कमी, प्राकृतिक आपदाएं, कृषि समस्याएं, और रोजगार की कमी प्रमुख हैं। इन समस्याओं का समाधान एक समग्र दृष्टिकोण और ठोस नीति निर्माण के माध्यम से ही संभव है। सरकार, स्थानीय प्रशासन, और समाज के सभी वर्गों को मिलकर इन समस्याओं के समाधान के लिए प्रयास करने होंगे, ताकि पूर्वांचल का सर्वांगीण विकास हो सके और यह क्षेत्र भी विकास की मुख्य धारा में शामिल हो सके।
लेखक :- जीत बहादुर गौतम अधिवक्ता, उच्च न्यायालय इलाहाबाद, पूर्वांचल राज्य संगठन का सदस्य है |
( स्थायी पता - ग्राम- मेघपुर, थाना- जलालपुर, तहसील- केराकत, जिला- जौनपुर पूर्वांचल, उत्तरा प्रदेश )
मोबाइल - 9935065573, 8081812115