अलग पूर्वांचल राज्य बनाने की मांग समय-समय पर उठती रही है. लेकिन यह मांग कभी भी मजबूती और ईमानदारी से नहीं उठाई गई. विभिन्न राजनीतिक दलों ने इस मुद्दे को अपने राजनीतिक हितों के लिए इस्तेमाल किया |
जब उनका हित सिद्ध हो गया तो इसे किनारे कर दिया। इस कारण पूर्वाचल के लोग गरीबी, बेरोजगारी और पलायन का अभिशाप झेलने को मजबूर हैं।
पूर्वाचल के लोगों का मानना है कि इस क्षेत्र को विकास में तभी शामिल किया जा सकता है, जब उत्तर प्रदेश से पूर्वाचल को अलग कर एक नया राज्य बनाया जाए। यही कारण है कि पूर्वांचल के लोगों ने सत्ता के माध्यम से अपनी ताकत दिखाने का फैसला करने को मजबूर हैं ।
पूर्वांचल राज्य गठन की मांग होगी तेज
पूर्वाचल राज्य संगठन के बैनर तले लोगों ने एकजुट होकर अलग पूर्वाचल राज्य बनाने की मांग तेज करने का आह्वान किया है। इसी क्रम में पहली कार्यसमिति की बैठक प्रयागराज या वाराणसी में होगी. बैठक में पूर्वांचल राज्य समर्थक अलग राज्य गठन के लिए चिंतन शिविर लगाएंगे |
'एक समय पूर्वाचल को चीनी का कटोरा कहा जाता था। यहां सबसे ज्यादा चीनी मिलें थीं. लेकिन किसी भी सरकार ने कभी कोई गंभीर प्रयास नहीं किया. इस धरती की बौद्धिक क्षमता का लोहा पूरी दुनिया मानती है, लेकिन यह क्षेत्र लगातार पिछड़ता जा रहा है। क्योंकि लोग नौकरी और अच्छी शिक्षा की कमी के कारण पलायन करते हैं।
नीति आयोग की रिपोर्ट में भी यह साफ नजर आ रहा है. यूपी के अन्य क्षेत्रों में विकास की गति है वैसा पूर्वाचल नहीं दिखा । आज भी गाजियाबाद की तुलना ग़ाज़ीपुर से करने का कोई मतलब नहीं बनता है ।
पीआरएस ने आंदोलन को जन-जन तक पहुंचाने का उठाया बीड़ा
पीआरएस यानि पूर्वाचल राज्य संगठन, पूर्वांचल के लोगों को मजबूत करने का काम करेगा। पूर्वाचल के लोगों की अलग पूर्वाचल राज्य बनाने की मांग को जन- जन तक पहुंचाने का निर्णय लिया। पीआरएस का यह संघर्ष पूर्वाचल राज्य के निर्माण से लेकर पूर्वाचल के समग्र विकास तक है।
लेखक: विनय पांडे पूर्वाचल राज्य संगठन के सदस्य हैं एवं अधिवक्ता उच्च न्यायालय, इलाहाबाद भीं हैं, उनका पता:- 17ए/9डी/13, लेन नं. 12, गंगानगर, राजापुर, प्रयागराज (इलाहाबाद) पूर्वांचल है।