जस्टिस डॉक्टर शेखर यादव ने कहा था कि समानता न्याय और धर्मनिरपेक्षता के सिद्धांतों पर आधारित समान नागरिक संहिता भारत में लंबे समय से एक बहस का मुद्दा रही है |
लखनऊ / नयी दिल्ली : इलाहाबाद हाईकोर्ट के जज जस्टिस डॉक्टर शेखर यादव के बयान पर शोर शराबा के बाद सुप्रीम कोर्ट ने संबंधित अदालत से कार्यक्रम में बोले गए स्पीच का ब्यौरा मांगा है. क्योंकि मंगलवार (10 दिसंबर, 2024) को सुप्रीम कोर्ट ने जस्टिस शेखर कुमार यादव के भाषण की समाचार पत्रों में प्रकाशित खबरों का संज्ञान लिया है.
जस्टिस डॉक्टर शेखर यादव ने विश्व हिंदू परिषद (विहिप) के कार्यक्रम में समान नागरिक संहिता (UCC) और तीन तलाक, चार शादियों और हलाला का जिक्र करते हुए कई बातें कहीं थीं, जिस पर कुछ वकील और उनके संगठन ने आपत्ति जताई और देश के मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना को भी पत्र लिखकर शिकायत किया।
एक आधिकारिक बयान के मुताबिक, 'सुप्रीम कोर्ट ने जस्टिस शेखर कुमार यादव के भाषण की समाचार पत्रों में प्रकाशित खबरों का संज्ञान लेने के बाद हाईकोर्ट से विवरण और जानकारियां मंगाई गई हैं और यह मामला विचाराधीन है.' जज ने विहिप के एक समारोह में कहा था कि यूसीसी का मुख्य उद्देश्य सामाजिक सद्भाव, लैंगिक समानता और धर्मनिरपेक्षता को बढ़ावा देना है.