लखनऊ: महापौर के सामने कई समस्याएं उठीं , संपत्ति कर सुधार के लिए 14 साल से लड़ रहे शिकायतकर्ता

लखनऊ: महापौर के सामने कई समस्याएं उठीं , संपत्ति कर सुधार के लिए 14 साल से लड़ रहे शिकायतकर्ता

नगर निगम संकल्प के दिन लोगों की भारी भीड़ उमड़ी। शिकायतकर्ता शहर के जोन 8 से अपनी समस्याएं लेकर आए थे।

लखनऊ: महापौर के सामने कई समस्याएं उठीं , संपत्ति कर सुधार के लिए 14 साल से लड़ रहे शिकायतकर्ता

पार्किंग बोली में धांधली के आरोपों का मुद्दा उठाया गया
6 साल से नाले की सफाई न करने का आरोप
तीन टैक्स आईडी बनाईं, 18,000 रुपये अतिरिक्त भुगतान किए

पूर्वांचल न्यूज़ प्रिंट / लखनऊ| नगर निगम संकल्प के दिन लोगों की भारी भीड़ उमड़ी। शिकायतकर्ता शहर के जोन 8 से अपनी समस्याएं लेकर आए थे। ट्रांसपोर्ट नगर से आए अभिमन्यु गिरि ने आरोप लगाया कि ग्रुप बी में पार्किंग के लिए टेंडर निकाला गया था। जिस व्यक्ति को ठेका दिया गया, उसे जीएसटी देना पड़ा। इसके बावजूद उन्हें अनुबंध प्राप्त हुआ।

इसकी शिकायत मेयर सुषमा खरकवाल और संभागीय आयुक्त से की गई। आरोप है कि जीएसटी फाइलों में भी बदलाव किए गए हैं। दावा यह है कि कंपनी पर 30 दिसंबर तक ऋण बकाया होने के बावजूद निविदा गलत तरीके से प्रदान की गई।

रितेश कुमार कोतवाली रोड मटियारी चिनहट से आये। उनका कहना है कि नाले की सफाई छह साल से नहीं हुई है। मैंने कई बार मेयर और जोन 4 के कर्मचारियों से शिकायत की है। कोई सुनने को तैयार नहीं है। मैं पहले ही 20 से अधिक बार शिकायत कर चुका हूं। सभी अधिकारी कमीशन चाहते हैं।

समाधान दिवस में आए अभिमन्यु गिरी ने बताया कि मकान 62.6 मी. कर निर्धारण प्रणाली 2010 में शुरू की गई थी। इस अवधि के दौरान आवासीय मकानों पर 3 लाख रुपये से अधिक का कर लगाया गया। 2019 में 64 हजार रुपए की वसूली की गई।

नगर निगम के अधिकारी घर आए और दुर्व्यवहार किया। इसके बाद पत्नी ने एक खाली चेक दे दिया। इस अवधि के दौरान टैक्स पुनः बढ़कर 8,000 रुपये से अधिक हो गया। मैं तब से दौड़ रहा हूं। कोई भी सुनने को तैयार नहीं है। आस-पास के घरों पर कर 500-1000 रुपये तक आता है। जबकि मेरा कर मनमाने ढंग से निर्धारित किया गया था।

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लखनऊ में नगर निगम ने एक व्यक्ति के लिए तीन टैक्स आईडी बना दी हैं। इससे राजाजीपुरम जोन 2 निवासी मुंशी यादव परेशान हैं। उन्होंने यह बात तब कही थी जब उनका मकान नहीं बना था। तभी से कर वसूली लागू कर दी गई। 2018 और 2021 के बीच कर निर्धारण दो बार किया गया।

उन्होंने कहा कि 2015, 2018 और 2021 का टैक्स आईडी नंबर चल रहा है। टैक्स आईडी नंबर 2018 में शुरू हुआ, घर बनने के बाद भी। तो मैंने लगभग 18 घरों के लिए अतिरिक्त पैसे चुकाए, लेकिन क्या कोई सुनने को तैयार है? घटनास्थल पर मौजूद नगर निगम अधिकारियों ने बताया कि यह राशि अदा नहीं की गई।


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