India में इलेक्ट्रिक वाहनों (EV) का बढ़ता चलन

India में इलेक्ट्रिक वाहनों (EV) का बढ़ता चलन

भारत सहित विश्व भर में इलेक्ट्रिक वाहनों का चलन तेजी से बढ़ रहा है। यह रिपोर्ट EV के बढ़ते प्रभाव को मानवीय नजरिए से देखती है, जिसमें इसके लाभ, चुनौतियां, और लोगों के जीवन पर प्रभाव शामिल हैं।

India में इलेक्ट्रिक वाहनों (EV) का बढ़ता चलन

  🔹FAME और PM E-Drive जैसी योजनाएं EV को बढ़ावा देने में अहम भूमिका निभा रही

Auto News /  Purvanchal News Print : आज का युग तकनीकी और पर्यावरणीय बदलाव का युग है। इस बदलते परिदृश्य में इलेक्ट्रिक वाहन (EV) एक ऐसी क्रांति के रूप में उभरे हैं जो न केवल परिवहन के तरीके को बदल रही है, बल्कि हमारे पर्यावरण, समाज और जीवनशैली पर भी गहरा प्रभाव डाल रही है। 

EV का बढ़ता चलन: वैश्विक और भारतीय परिप्रेक्ष्य

इलेक्ट्रिक वाहनों की लोकप्रियता का कारण पर्यावरणीय जागरूकता और तकनीकी प्रगति है। वैश्विक स्तर पर, नॉर्वे जैसे देशों में इलेक्ट्रिक कारें पेट्रोल वाहनों से आगे निकल चुकी हैं, जहां 2023 तक 80% से अधिक नई कारें इलेक्ट्रिक थीं। भारत में भी यह चलन तेजी से बढ़ रहा है। नीति आयोग की रिपोर्ट के अनुसार, 2030 तक भारत में 30% निजी कारें, 70% वाणिज्यिक वाहन, और 80% दोपहिया व तिपहिया वाहन इलेक्ट्रिक होने का लक्ष्य है। हाल ही में भारत मोबिलिटी ग्लोबल एक्सपो 2025 में प्रदर्शित EV मॉडल्स ने इस दिशा में उत्साह को और बढ़ाया है।

एक्स पर चर्चाओं से पता चलता है कि लोग प्रीमियम EV की बढ़ती बिक्री और इनके भविष्य को लेकर उत्साहित हैं। उदाहरण के लिए, पोस्ट्स में उल्लेख है कि भारत में प्रीमियम EV की हिस्सेदारी पिछले दो वर्षों में तीन गुना हो गई है, जो दर्शाता है कि लोग केवल किफायती मॉडल्स ही नहीं, बल्कि उन्नत तकनीक वाली गाड़ियों में भी रुचि ले रहे हैं।

 मानवीय प्रभाव: जीवन को बदलते पहिए

1. आर्थिक प्रभाव:  
   इलेक्ट्रिक वाहन आम लोगों के लिए आर्थिक बचत का जरिया बन रहे हैं। पेट्रोल और डीजल की कीमतों में उतार-चढ़ाव के बीच, EV की प्रति किलोमीटर लागत बेहद कम है। उदाहरण के लिए, एक सामान्य पेट्रोल स्कूटर की तुलना में इलेक्ट्रिक स्कूटर की रनिंग कॉस्ट 70-80% तक कम हो सकती है। इससे खासकर निम्न और मध्यम आय वर्ग के लोगों को राहत मिल रही है, जो रोजाना दोपहिया वाहनों पर निर्भर हैं।

   एक व्यक्तिगत कहानी: दिल्ली के एक ऑटो चालक रमेश ने बताया कि उसने इलेक्ट्रिक ऑटो में स्विच करने के बाद महीने में 5,000 रुपये तक की बचत की। "पहले पेट्रोल पर इतना खर्च होता था कि घर चलाना मुश्किल हो जाता था। अब चार्जिंग सस्ती है और कमाई बढ़ गई है।"

India में इलेक्ट्रिक वाहनों (EV) का बढ़ता चलन
India में इलेक्ट्रिक वाहनों (EV) का बढ़ता चलन 

2. पर्यावरण और स्वास्थ्य:  
   शहरों में बढ़ता प्रदूषण लोगों के स्वास्थ्य पर भारी पड़ रहा है। EV शून्य टेलपाइप उत्सर्जन के साथ वायु प्रदूषण को कम करने में मदद करते हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, भारत के 10 सबसे प्रदूषित शहरों में से 9 में वायु प्रदूषण से हर साल लाखों लोग प्रभावित होते हैं। EV का बढ़ता चलन इस समस्या का एक जवाब हो सकता है।

   मुंबई की एक मां, प्रियंका, कहती हैं, "मेरे बच्चे को अस्थमा है। पहले हर सर्दियों में उसकी हालत बिगड़ जाती थी। लेकिन अब जब सड़कों पर इलेक्ट्रिक बसें और स्कूटर बढ़ रहे हैं, मुझे उम्मीद है कि हवा थोड़ी साफ होगी।"

3. सामाजिक बदलाव:  
   EV ने रोजगार के नए अवसर भी पैदा किए हैं। चार्जिंग स्टेशन बनाने, बैटरी उत्पादन, और वाहन रखरखाव में कुशल श्रमिकों की मांग बढ़ रही है। बेंगलुरु के एक युवा मैकेनिक, संदीप, ने बताया कि उसने पारंपरिक वाहनों की मरम्मत छोड़कर EV सर्विसिंग सीखी। "यह नई तकनीक है, और इससे मेरी कमाई दोगुनी हो गई है।"

 चुनौतियां: मानवीय नजरिए से

EV का चलन बढ़ रहा है, लेकिन कुछ चुनौतियां लोगों के लिए अभी भी बाधा बनी हुई हैं:

चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर:ग्रामीण इलाकों और छोटे शहरों में चार्जिंग स्टेशनों की कमी एक बड़ी समस्या है। एक ट्रक ड्राइवर, सुरेश, कहता है, "शहर में तो ठीक है, लेकिन लंबी दूरी पर माल ढोने के लिए EV पर भरोसा करना मुश्किल है। चार्जिंग पॉइंट नहीं मिलते।"

उच्च लागत: हालांकि लंबे समय में EV सस्ते हैं, लेकिन शुरुआती कीमत अभी भी कई लोगों की पहुंच से बाहर है। एक मध्यमवर्गीय परिवार के मुखिया, अजय, कहते हैं, "मैं EV लेना चाहता हूं, पर 10 लाख रुपये की कार मेरे बजट से बाहर है।"

India में इलेक्ट्रिक वाहनों (EV) का बढ़ता चलन


रेंज की चिंता: लंबी दूरी के सफर के लिए बैटरी रेंज को लेकर लोग हिचकिचाते हैं। एक्स पर एक यूजर ने लिखा, "EV कारें लोकप्रिय नहीं हो रही हैं क्योंकि लोग बैटरी खत्म होने के डर से लंबी यात्रा पर नहीं निकलते।"

भविष्य की संभावनाएं: एक उम्मीद भरा कल

भारत सरकार की FAME और PM E-Drive जैसी योजनाएं EV को बढ़ावा देने में अहम भूमिका निभा रही हैं। सब्सिडी, टैक्स में छूट, और चार्जिंग स्टेशनों का विस्तार लोगों का भरोसा बढ़ा रहा है। आने वाले वर्षों में बैटरी तकनीक में सुधार और लागत में कमी से ये वाहन और सुलभ होंगे।

एक छात्रा, नेहा, जो रोज कॉलेज के लिए इलेक्ट्रिक स्कूटर इस्तेमाल करती है, कहती है, "यह आसान, सस्ता और मजेदार है। मुझे लगता है कि भविष्य में हर घर में एक EV होगा।"

 निष्कर्ष
इलेक्ट्रिक वाहनों का बढ़ता चलन सिर्फ एक तकनीकी बदलाव नहीं है, बल्कि यह लोगों के जीवन को बेहतर बनाने की एक उम्मीद है। यह आर्थिक बचत, स्वच्छ हवा, और नए अवसरों का वादा करता है। हां, चुनौतियां हैं, लेकिन अगर सरकार, कंपनियां और समाज साथ मिलकर काम करें, तो EV न केवल सड़कों पर दौड़ेंगे, बल्कि हमारे सपनों को भी नई गति देंगे। यह एक ऐसा भविष्य है जहां प्रदूषण कम होगा, सांसें आसान होंगी, और हर व्यक्ति इस बदलाव का हिस्सा बनेगा।

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