बीएचयू के सहायक प्रोफेसर अशोक कुमार सोनकर के नेतृत्व में पहडिया तालाब को संरक्षित करने के लिए नवरात्रि की अष्टमी को तालाब आरती की गई।
तालाबों व जलकुंडों के संरक्षण के लिए जीवन समर्पित, रोज करते हैं आरती।
राकेश यादव रौशन / पूर्वांचल न्यूज़ प्रिंट / वाराणसी। तेजी से कम होते जा रहे जलश्रोतों के संरक्षण के लिए अपना जीवन समर्पित कर देने वाले बीएचयू के सहायक प्रोफेसर अशोक कुमार सोनकर के नेतृत्व में शनिवार को पहडिया तालाब को संरक्षित करने के लिए नवरात्रि की अष्टमी को तालाब आरती की गई।
इस अवसर पर अशोक कुमार सोनकर, सहायक प्रोफेसर, इतिहास विभाग सामाजिक विज्ञान संकाय, काशी हिन्दू विश्वविद्यालय, वाराणसी ने कहा कि जल स्रोत के संरक्षण करने हेतु जागरूकता के साथ लोगों को भावनात्मक रूप से तालाब कुंडों से जोड़ना पड़ेगा। तब जाकर जल स्रोत तालाब, कुण्ड, पोखरा आदि संरक्षित हो पायेगा, नहीं तो इनका अस्तित्व लगभग समाप्त हो जायेगा।
काशी के तालाब केवल जल स्रोत के भण्डार नहीं है बल्कि, यह हमारे लोकाचार एवं संस्कृति का अंग है। इसलिए काशी के प्रत्येक परिवार तालाब, कुण्ड, पोखरा से जूड़ा रहता था। लेकिन आधुनिकता एवं पश्चिमकरण के प्रभाव ने जल स्रोतों से आम जन जीवन को अलग कर दिया है। जिसमें तालाब, कुण्ड, पोखरा का अस्तित्व ख़तरे में पड़ गया है। तालाब आरती के उपरांत लोगों ने जल स्रोंत संरक्षण का संकल्प लिया।
इस अवसर पर प्रो. शरद कुमार, रीती श्रीवास्तव, राखी सोनकर, राजलक्ष्मी, विजय त्रिपाठी, गणेश सिंह, विनोद यादव, राजेश यादव आदि स्थानीय लोग उपस्थित रहे।