आल इंडिया पीपुल्स फ्रंट ने कवयित्री व लोक गायिका नेहा सिंह राठौर और लखनऊ विश्वविद्यालय की प्रोफेसर माद्री काकोटी पर दर्ज एफआईआर की कड़ी निंदा की है।
- पहलगाम की आतंकी घटना निंदनीय और आतंकी को कड़ी से कड़ी सजा दी जाए
- एआईपीएफ की राष्ट्रीय कार्य समिति की बैठक के बारे में दी जानकारी
पूर्वांचल न्यूज़ प्रिंट/ब्यूरो चीफ दिवाकर राय चंदौली: आल इंडिया पीपुल्स फ्रंट ने कवयित्री व लोक गायिका नेहा सिंह राठौर और लखनऊ विश्वविद्यालय की प्रोफेसर माद्री काकोटी पर दर्ज एफआईआर की कड़ी निंदा की है। एआईपीएफ की राष्ट्रीय कार्य समिति की बैठक के बारे में जानकारी देते हुए एआईपीएफ राज्य कार्य समिति सदस्य अजय राय ने कहा कि इन महिलाओं पर दर्ज एफआईआर को संविधान के मौलिक अधिकार के विरुद्ध बताया गया है।
यह संविधान प्रदत्त असहमति और अभिव्यक्ति के अधिकार का खुला उल्लंघन है। इन दोनों महिलाओं पर भारतीय न्याय संहिता की धारा 152 के तहत यानी देश की एकता, अखंडता व सम्प्रभुता को नुकसान पहुंचाने की धारा में मुकदमा कायम कर दिया गया है। सरकार का यह कृत्य लोकतंत्र के लिए शुभ नहीं है। एआईपीएफ ने मांग की है कि नेहा सिंह राठौर और प्रोफेसर माद्री काकोटी पर लगाए गए मुकदमों को तत्काल खत्म किया जाए और दहशत फैलाने की जारी कार्रवाइयों पर रोक लगाई जाए।
एआईपीएफ ने प्रस्ताव में कहा है कि पहलगाम की त्रासद घटना में सुरक्षा चूक की बात केंद्र सरकार की सर्वदलीय बैठक में गृहमंत्री अमित शाह ने खुद स्वीकार की है। ज्ञातव्य है कि पहलगाम के इस टूरिस्ट स्पॉट पर घटना के वक्त एक भी सुरक्षा कर्मी मौजूद नहीं था। ऐसे में केंद्र सरकार व भाजपा को बताना चाहिए कि इस गंभीर सुरक्षा चूक पर प्रश्न पूछना अपराध कैसे हो गया।
प्रस्ताव में कहा गया है कि भारत सरकार को पहलगाम घटना की स्वतंत्र व निष्पक्ष एजंसियों से जांच करा कर उसके सच को देश व दुनिया के सामने लाना चाहिए, जिससे भारत का पक्ष मजबूत होगा लेकिन इसके लिए वह तैयार नहीं है। वहीं इस पर सवाल करने वाले नागरिकों के दमन पर उतारू है।