जनगणना अधिसूचना जारी, 35 लाख से अधिक कर्मचारी डिजिटल तरीके से काम करेंगे; 2026-27 में दो चरणों में होगी जनगणना

जनगणना अधिसूचना जारी, 35 लाख से अधिक कर्मचारी डिजिटल तरीके से काम करेंगे; 2026-27 में दो चरणों में होगी जनगणना

भारत में जाति जनगणना और जनसंख्या गणना की दिशा में एक बड़ा कदम उठाया गया है। केंद्र सरकार ने कल सोमवार को इसकी आधिकारिक अधिसूचना जारी कर दी। यह जनगणना न केवल डिजिटल होगी बल्कि पहली बार इसमें जाति आधारित जनगणना भी शामिल होगी।

जनगणना अधिसूचना जारी, 35 लाख से अधिक कर्मचारी डिजिटल तरीके से काम करेंगे; 2026-27 में दो चरणों में होगी जनगणना

जनगणना कब और कैसे होगी?

जनगणना दो चरणों में होगी:

पहला चरण: हाउस लिस्टिंग और काउंटिंग (HLO)

इस चरण में प्रत्येक घर की आवासीय स्थिति, संपत्ति और सुविधाओं के बारे में जानकारी एकत्र की जाएगी।

दूसरा चरण: जनसंख्या जनगणना

इस चरण के दौरान प्रत्येक व्यक्ति का जनसांख्यिकीय, सामाजिक-आर्थिक, सांस्कृतिक और अन्य डेटा एकत्र किया जाएगा।

यह प्रक्रिया कब शुरू होगी?

हिमालयी और बर्फीले इलाकों (जम्मू-कश्मीर, लद्दाख, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड) में

👉 जनगणना 1 अक्टूबर, 2026 से शुरू होगी।

देश के अन्य हिस्सों में

👉 जनगणना 1 मार्च, 2027 से होगी।

यह जनगणना डिजिटल होगी
पूरी प्रक्रिया डिजिटल प्लेटफॉर्म पर आधारित होगी।
16 भाषाओं में उपलब्ध मोबाइल एप्लिकेशन के माध्यम से डेटा एकत्र किया जाएगा।
नागरिकों के पास स्वयं गणना करने का विकल्प भी होगा, यानी अपनी जानकारी दर्ज करने का।
संग्रह, प्रसारण और भंडारण के सभी स्तरों पर डेटा सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए कड़े कदम उठाए जाएंगे।

 

गृह मंत्री अमित शाह ने की पुष्टि


गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि देश में पहली बार जनगणना में जातिगत आंकड़े भी दर्ज किए जाएंगे। उन्होंने कहा, “इस जनगणना में 3.4 मिलियन गणनाकर्ता, पर्यवेक्षक और 1.3 मिलियन जनगणना एजेंट आधुनिक तकनीक के साथ काम करेंगे।” उन्होंने रविवार को जनगणना से जुड़े अधिकारियों से भी मुलाकात की, जिस दौरान तैयारियों की समीक्षा की गई।

आजादी के बाद 8वीं जनगणना, कुल मिलाकर 16वीं
यह भारत की 16वीं जनगणना होगी।
आजादी के बाद यह 8वीं जनगणना होगी।
पिछली जनगणना 2011 में हुई थी, इस बार 16 साल के अंतराल के बाद।

यह जनगणना क्यों खास है?

पहली बार जाति आधारित डेटा केंद्र सरकार द्वारा एकत्र किया जाएगा।

पूरी प्रक्रिया डिजिटल होगी, जिससे समय और संसाधनों की बचत होगी।

नागरिकों द्वारा डेटा भरने में आसानी से पारदर्शिता और भागीदारी बढ़ेगी।

यह डेटा नीतियों और कार्यक्रमों को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।

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