धांगर को अनुसूचित जनजाति की सूची में शामिल करने के सवाल पर AIPF के राष्ट्रीय अध्यक्ष एस. आर. दारापुरी ने ACS समाज कल्याण वेंकटेश्वर लू से वार्ता की।
- एआईपीएफ के राष्ट्रीय अध्यक्ष एस. आर. दारापुरी ने एसीएस समाज कल्याण वेंकटेश्वर लू से की वार्ता
- पूरे प्रदेश में कोल को मिले आदिवासी का दर्जा
लखनऊ | सोनभद्र की आदिवासी मूल की धांगर जाति के नाम पर पश्चिमी उत्तर प्रदेश में जारी फर्जी प्रमाण पत्र पर रोक लगाने, भारत सरकार की सूची के अनुरूप ही एससी के जाति प्रमाण पत्र जारी करने और धांगर को अनुसूचित जनजाति की सूची में शामिल करने के सवाल पर आज ऑल इंडिया पीपुल्स फ्रंट के राष्ट्रीय अध्यक्ष एस. आर. दारापुरी ने अपर मुख्य सचिव, समाज कल्याण वेंकटेश्वर लू से वार्ता की। उनके साथ एआईपीएफ के प्रदेश महासचिव दिनकर कपूर भी रहे।
दारापुरी ने इसके अलावा उत्तर प्रदेश की कोल आदिवासी जाति को अनुसूचित जनजाति की सूची में शामिल करने, वनाधिकार कानून के तहत पुश्तैनी जमीन पर मान्यता देने और सोनभद्र जनपद समेत प्रदेश के दलित, आदिवासी छात्रों की बकाया छात्रवृत्ति के तत्काल भुगतान के भी सवाल को उठाया और इस संबंध में भी पत्रक दिए। अपर मुख्य सचिव ने आश्वस्त किया कि इन सब सवालों पर विधि के अनुरूप तत्काल कार्रवाई सुनिश्चित की जाएगी।
प्रेस को जारी बयान में एआईपीएफ अध्यक्ष एस. आर. दारापुरी ने कहा कि संविधान के अनुच्छेद 341 के तहत अनुसूचित जाति की सूची में कोई भी संशोधन राज्य सरकार, न्यायालय या कोई अभिकरण नहीं कर सकता है। बावजूद इसके पिछले 15 सालों से सोनभद्र की धांगर जाति के साथ अन्याय किया जा रहा है। उनके नाम पर अनुसूचित जाति का प्रमाण पत्र बनाकर सांसद से लेकर नौकरी तक में पिछड़े वर्ग के लोग हिस्सा हड़प रहें हैं।
उन्होंने कहा कि अनुसूचित जाति-जनजाति शोध संस्थान ने अपनी सर्वे में स्पष्ट रूप से बताया है कि यह जाति उरांव आदिवासी जाति मूल की है। इसलिए इसे अनुसूचित जनजाति में की सूची में शामिल कर केंद्र और उत्तर प्रदेश सरकार को उसके काता सामाजिक अधिकार को सुनिश्चित करना चाहिए।
उन्होंने कहा कि प्रदेश में लाखों की संख्या में रह रहे कोल आदिवासियों के भी सामाजिक अधिकार नहीं दिए गए। आदिवासी होने के बावजूद एसटी की सूची में शामिल न करने के कारण वह वनाधिकार कानून से वंचित है। उसके लोगों को सरकारी नौकरियों में प्रतिनिधित्व नहीं मिल पा रहा है और राबर्ट्सगंज संसदीय क्षेत्र भी आदिवासियों के लिए आरक्षित नहीं हो पा रहा है।
शोध संस्थान ने एसटी की सूची में शामिल करने की सर्वे रिपोर्ट दी। जिसके आधार पर उत्तर प्रदेश सरकार ने कई बार भारत सरकार को संस्तुति की लेकिन मोदी सरकार इस पर विचार करने को तैयार नहीं है। उन्होंने वनाधिकार कानून के अनुपालन न होने पर गहरी चिंता अपर मुख्य सचिव के साथ साझा की और चंदौली के नौगढ़ में वन विभाग द्वारा घोषित बेदखली जैसी कार्रवाइयों पर रोक लगाने का निवेदन किया। उन्होंने कहा कि प्रदेश में हालात यह है कि दलित, आदिवासी छात्रों को छात्रवृत्ति भी नहीं मिल रही है। इस पर भी तत्काल कार्रवाई का अनुरोध किया गया।