Justice Yashwant Varma:के मामले की सुनवाई के लिए सुप्रीम कोर्ट एक विशेष पीठ का करेगा गठन

Justice Yashwant Varma:के मामले की सुनवाई के लिए सुप्रीम कोर्ट एक विशेष पीठ का करेगा गठन

Justice Yashwant Varma की याचिका पर सुनवाई के लिए सर्वोच्च न्यायालय एक विशेष पीठ का गठन करेगा। वर्मा ने आंतरिक जाँच आयोग की उस रिपोर्ट को चुनौती दी थी जिसमें उन्हें "नकदी रखने" के मामले में दोषी ठहराया गया था। अनुभवी वकीलों की एक टीम ने एक याचिका दायर की और संवैधानिक मुद्दे उठाए।

Justice Yashwant Varma:के मामले की सुनवाई के लिए  सुप्रीम कोर्ट एक विशेष पीठ का करेगा गठन

Justice Yashwant Varma: सर्वोच्च न्यायालय न्यायमूर्ति वर्मा की याचिका पर सुनवाई के लिए तैयार है। पूर्व न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा ने "नकदी रखने" के मामले में आंतरिक जाँच आयोग की रिपोर्ट को चुनौती दी थी। अब इसके लिए एक विशेष पीठ का गठन किया जाएगा। हालाँकि, मुख्य न्यायाधीश बी.आर. गवई इस सुनवाई में भाग नहीं लेंगे।

इन वकीलों ने न्यायमूर्ति वर्मा की ओर से भाग लिया

मुख्य न्यायाधीश बी.आर. गवई, न्यायमूर्ति के. विनोद चंद्रन और न्यायमूर्ति जॉयमाल्या बागची के समक्ष वर्मा का प्रतिनिधित्व करने वाले वरिष्ठ वकीलों ने तर्क दिया कि मामले में संवैधानिक मुद्दे उठाए गए हैं और जल्द से जल्द एक पीठ का गठन किया जाना चाहिए। वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल, सिद्धार्थ अग्रवाल, मुकुल रोहतगी, राकेश द्विवेदी, सिद्धार्थ लूथरा और जॉर्ज पठान पूथिकोट सहित अन्य ने वर्मा का प्रतिनिधित्व किया।

कपिल सिब्बल ने शीघ्र सुनवाई की मांग की

वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय के न्यायाधीश न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा की ओर से सर्वोच्च न्यायालय में दायर एक याचिका का हवाला दिया, जिसमें मामले की तत्काल सुनवाई का अनुरोध किया गया था। सिब्बल ने कहा कि इस याचिका में उन्हें हटाने की मांग की गई है। हम अनुरोध करते हैं कि उन्हें जल्द से जल्द सूचीबद्ध किया जाए।

याचिका में उठाए गए संवैधानिक मुद्दे

मुख्य न्यायाधीश गवई ने स्पष्ट किया कि चूँकि वे पहले ही इस विवाद की चर्चा में भाग ले चुके हैं, इसलिए यह मामला उनके समक्ष नहीं लाया जा सकता। हालाँकि, उन्होंने आश्वासन दिया कि वे जल्द ही एक सक्षम समिति के गठन पर निर्णय लेंगे।

क्या है पूरा मामला?

14 मार्च की शाम को, दिल्ली उच्च न्यायालय के तत्कालीन न्यायाधीश न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा के सरकारी आवास के गोदाम में आग लग गई।

आग लगने के बाद, लाखों रुपये की नकदी जलती हुई पाई गई।

इस घटना के बाद, वर्मा को उनके न्यायिक कर्तव्यों से हटाकर उनके गृह न्यायालय, इलाहाबाद उच्च न्यायालय में स्थानांतरित कर दिया गया।

22 मार्च को एक तीन-सदस्यीय जाँच समिति गठित की गई, जिसकी रिपोर्ट में उन्हें दोषी पाया गया।

आगे की कार्रवाई

न्यायमूर्ति वर्मा ने आंतरिक जाँच रिपोर्ट को चुनौती देते हुए और संवैधानिक मुद्दों के समाधान की माँग करते हुए सर्वोच्च न्यायालय में एक याचिका दायर की। सर्वोच्च न्यायालय एक नवगठित विशेष समिति के माध्यम से इस याचिका पर विचार करेगा।

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