कांग्रेस के मीडिया एवं प्रचार विभाग के प्रमुख पवन खेड़ा ने इंस्टाग्राम पर यह जानकारी साझा करते हुए बताया कि इस यात्रा के दौरान राहुल गांधी कई देशों के राष्ट्रपतियों, वरिष्ठ अधिकारियों, व्यापारिक नेताओं और विश्वविद्यालय के छात्रों से बातचीत करेंगे। हालाँकि, कांग्रेस ने उनके विदेश प्रवास की अवधि के बारे में कोई जानकारी नहीं दी।
कांग्रेस के अनुसार, राहुल गांधी ब्राज़ील और कोलंबिया में विश्वविद्यालय के छात्रों से बातचीत करेंगे। पार्टी ने कहा कि वह लोकतांत्रिक और रणनीतिक संबंधों को मज़बूत करने के लिए कई देशों के राष्ट्रपतियों और वरिष्ठ अधिकारियों से मिलेंगे। वह अमेरिकी टैरिफ़ के बाद नए व्यापार और साझेदारी के अवसरों की तलाश के लिए व्यापारिक नेताओं से भी बातचीत करेंगे।
कांग्रेस इस यात्रा को राहुल गांधी की अंतर्राष्ट्रीय पहुँच बढ़ाने और वैश्विक संवाद को मज़बूत करने का एक प्रयास बता रही है, जबकि भाजपा इसे भारत विरोधी एजेंडा बता रही है।
भाजपा प्रवक्ता प्रदीप भंडारी ने इंस्टाग्राम पर लिखा: "राहुल गांधी एक और विदेश यात्रा पर निकल पड़े हैं। देखना होगा कि इस बार बंद दरवाजों के पीछे उनका सामना किन नए भारत विरोधी तत्वों से होता है।" राहुल भारतीय लोकतंत्र और भारतीय राज्य के खिलाफ लड़ना चाहते हैं। वह इसके लिए एक वैश्विक गठबंधन बना रहे हैं, और उनके गुरु जॉर्ज सोरोस इसमें शामिल हो सकते हैं।
भंडारी ने आरोप लगाया कि राहुल गांधी पहले भी भारतीय लोकतंत्र में विदेशी हस्तक्षेप की वकालत कर चुके हैं, इल्हान उमर जैसे भारत-विरोधी माने जाने वाले लोगों से मिल चुके हैं, और खालिस्तान समर्थक पन्नू से समर्थन प्राप्त कर चुके हैं। उन्होंने पोस्ट में यह भी दावा किया कि राहुल गांधी उसी समय विदेश यात्रा पर गए थे जब उनके "वैचारिक सहयोगी" सोनम वांगचुक को एनएसए ने गिरफ्तार किया था।