The Bengal Files Collection Day2 : पल्लवी जोशी और अनुपम खेर की The Bengal Files ने पहले दिन ज़्यादा कमाई नहीं की, लेकिन दूसरे दिन फिल्म की कमाई दोगुनी हो गई। शनिवार को विवेक अग्निहोत्री द्वारा निर्देशित इस फिल्म ने दर्शकों को ज़बरदस्त आकर्षित किया।
The Bengal Files हाल ही में काफ़ी चर्चा में रही है। विवेक अग्निहोत्री की The Bengal Files की यह तीसरी और आखिरी फिल्म है। इससे पहले, उनकी Kashir Files और ताशकंद Files को दर्शकों ने खूब सराहा था और कई लोगों को सोचने पर मजबूर किया था। इस बार, यह फिल्म 1946 के कलकत्ता दंगों पर आधारित है, जिसे डायरेक्ट एक्शन डे के नाम से जाना जाता है। यह एक बेहद दुखद और महत्वपूर्ण घटना थी, लेकिन बहुत कम लोग इसके बारे में जानते हैं। फिल्म दिखाती है कि उस समय हालात कैसे बिगड़े और आम लोगों के जीवन पर इसका गहरा असर पड़ा।
"द बंगाल फाइल्स" न सिर्फ़ मनोरंजक है, बल्कि इतिहास के पन्नों में अक्सर छुपी सच्चाई को भी दर्शकों के सामने पेश करती है। यही वजह है कि रिलीज़ होते ही इस फिल्म ने सबका ध्यान अपनी ओर खींच लिया।
बॉक्स ऑफिस पर धीमी शुरुआत
"द बंगाल फाइल्स" ने रिलीज़ के पहले दिन बॉक्स ऑफिस पर ख़राब शुरुआत की और सिर्फ़ ₹1.75 करोड़ की कमाई की। दूसरे दिन दर्शकों की दिलचस्पी बढ़ी और शनिवार तक इसकी कमाई बढ़कर ₹2.25 करोड़ हो गई। यह ग्राफ़ दर्शाता है कि फिल्म का प्रभाव धीरे-धीरे और मज़बूत हो सकता है।
1946 का डायरेक्ट एक्शन डे
फिल्म की कहानी 1946 के कलकत्ता विरोध प्रदर्शनों पर आधारित है, जिसे डायरेक्ट एक्शन डे के नाम से जाना जाता है। इस घटना ने लाखों लोगों के जीवन को प्रभावित किया था। फिल्म के कई दृश्य इतने ज़बरदस्त और भावुक हैं कि वे दर्शकों को झकझोर देते हैं।
दर्शक और प्रतिक्रिया
सोशल मीडिया पर फिल्म को सकारात्मक प्रतिक्रिया मिल रही है। दर्शकों ने इसे "प्रभावशाली" और "यथार्थवादी" बताया है। IMDb ने भी फिल्म को 7.6 रेटिंग दी है। हालाँकि यह रेटिंग विवेक अग्निहोत्री की पिछली फिल्मों से थोड़ी कम है, फिर भी दर्शकों की प्रतिक्रिया इसे एक मज़बूत फिल्म बनाती है।
द बंगाल फाइल्स की स्टार कास्ट
अनुपम खेर, मिथुन चक्रवर्ती और पल्लवी जोशी जैसे अनुभवी कलाकार अपने अभिनय से फिल्म में गहराई भरते हैं। इनके साथ, सिमरत कौर, पालोमी घोष, नमाशी चक्रवर्ती और दर्शन कुमार जैसे युवा चेहरे भी कहानी को मज़बूती देते हैं।
'द बंगाल फाइल्स' क्यों खास है?
यह सिर्फ़ एक फिल्म नहीं, बल्कि इतिहास का एक अक्सर अनदेखा पन्ना है। विवेक अग्निहोत्री ने इस घटना को पर्दे पर लाकर एक सच्चाई को उजागर करने की कोशिश की है, जो आने वाली पीढ़ियों को सोचने पर मजबूर कर देगी।