शेरपुर कलां गांव में भारतीय स्वतंत्रता में अहम योगदान देने वाले "जिंदा शहीद" के नाम से विख्यात स्वर्गीय सीताराम राय की पुण्यतिथि श्रद्धा पूर्वक मनाई गई।
त्रिलोकी नाथ राय / भांवरकोल। स्थानीय ब्लॉक अंतर्गत Sherpur Kalan village में भारतीय स्वतंत्रता में अहम योगदान देने वाले "Living Martyr" के नाम से विख्यात Death anniversary of late Sitaram Rai श्रद्धा पूर्वक मनाई गई।
कार्यक्रम का संयोजन आनंद राय पहलवान, अध्यक्षता लल्लन राय एवं कुशल संचालन राजेंद्र राय शर्मा ने किया । कार्यक्रम संयोजक समाजसेवी आनंद राय पहलवान ने सीताराम बाबू साहब के आदर्शो पर ग्रामवासियों को चलने की सलाह देते हुए कहा कि बाबू साहब हमेशा सबको एक होकर चलने की सलाह देते थे, इसलिए हम सभी को उनके आदर्शो पर चलना चाहिए।
समाजसेवी हिमांशु राय ने बलिदानी धरती शेरपुर के शहीदी जज्बे को नमन करते हुए स्व. सीताराम राम राय को श्रद्धांजलि अर्पित किया।
डॉक्टर आलोक राय ने बाबू साहब के जीवन पर प्रकाश डालते हुए कहा कि बाबू साहब बहुत ओजस्वी व्यक्तित्व के धनी थे, जब वे वक्ता के रूप में होते थे तो सभी लोग उनकी बातों को बहुत गौर से सुनते थे।
दिनेश चंद्र राय चौधरी ने पुरानी यादों को बताते हुए श्रद्धा सुमन अर्पित किया। नारायण उपाध्याय ने कहा कि बाबू साहब बहुत जज्बातों वाले व्यक्ति थे।
भाजपा नेता राजेश राय बागी ने बाबू साहब के संघर्षों की याद दिलाते हुए लोगों को भावुक कर दिया।
शशिधर राय ने टुनटुन ने कहा कि शहीदों की धरती शेरपुर हमेशा से प्रखर प्रतिभा के धनी व्यक्तित्वों की जननी रही है।
इस अवसर पर शेरपुर कलां से पूर्व प्रधान विद्यासागर गिरि,डॉक्टर रमेश राय, सुरेंद्र राय मास्टर साहेब,मनन राय,शशिकांत राय दरोगा ,श्याम नारायण राय, सत्यम उपाध्याय, दीनबंधु उपाध्याय, रविन्द्र राय, ज्ञान प्रकाश राय बचानी, मनीष राय, तथा शेरपुर खुर्द से पिंटू राय, अवधेश राय , राजू राय, रामविलास यादव, झाबर यादव, रानू राय, गुड्डू राय, रामबली राय, हनुमान जी राय, राजकुमार सोखा, चिंटू राय तथा सेमरा से उमेश यादव, बंगाली राय, दीपक राय, पप्पू राय के साथ समस्त ग्राम पंचायत से सैकड़ों लोगों ने श्रद्धांजलि अर्पित किया।
उल्लेखनीय है कि शेरपुर के जिंदा शहीद स्व. सीताराम राय की महती भूमिका को कभी भुलाया नहीं जा सकता है। यहां इस बात का जिक्र करना अति आवश्यक हो जाता है कि बाबू साहब को जिंदा शहीद क्यों कहा जाने लगा था?
भारत देश गुलामी की जंजीरों में जकड़ा हुआ था । 18 अगस्त 1942 को शहीद शिवपूजन राय के नेतृत्व में मुहम्मदाबाद तहसील पर तिरंगा फहराने के लिए नौजवानों की टोली चल पड़ी थी।
इंकलाब जिंदाबाद के नारे लगाए जा रहे थे। जब युवाओं की टोली तहसील पर पहुंची तब अंग्रेजों द्वारा गोली चलाई जाने लगी, जिसमें युवाओं ने सीने पर गोली खाई थी। आठ लोग अंग्रेजों की गोली से घायल होकर शहीद हुए जो अष्ट शहीद के नाम से विख्यात हुए। बाबू साहब को भी तीन गोली लगी थी, हॉस्पिटल में इलाज हुआ और जिंदा बच गए। तभी से इनको जिंदा शहीद कहा जाने लगा।
गाजीपुर जनपद में शेरपुर के अष्ट शहीदों का नाम आज भी आदरणीय है। ठीक उसी तरह ससम्मान जिंदा शहीद स्व. सीताराम राय भी हमेशा याद किए जाते रहेंगे।

