पूर्वांचल राज्य गठन एवं राष्ट्रीय राज्य पुनर्गठन आयोग के गठन की मांग को लेकर 25 दिसंबर को जंतर-मंतर पर आयोजित संयुक्त शांतिपूर्ण धरना-प्रदर्शन में उत्तर प्रदेश सरकार के पूर्व मंत्री एवं पूर्व सांसद लाल मणि बस्ती ने भाग लिया और आंदोलन को अपना समर्थन दिया।
जंतर-मंतर पर आयोजित संयुक्त शांतिपूर्ण धरना-प्रदर्शन में हुए शामिल
पीएनपी नेटवर्क/ नई दिल्ली/ लखनऊ । पूर्वांचल राज्य गठन एवं राष्ट्रीय राज्य पुनर्गठन आयोग (Purvanchal State Formation and National State Reorganization Commission) के गठन की मांग को लेकर 25 दिसंबर को Jantar Mantart पर आयोजित संयुक्त शांतिपूर्ण धरना-प्रदर्शन में उत्तर प्रदेश सरकार के पूर्व मंत्री एवं Former MP Lal Mani Basti, ने भाग लिया और आंदोलन को अपना समर्थन दिया।
धरने को संबोधित करते हुए श्री लाल मणि बस्ती ने कहा कि पूर्वांचल लंबे समय से प्रशासनिक उपेक्षा और विकास के असंतुलन का शिकार रहा है। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश जैसे विशाल राज्य में सभी क्षेत्रों तक समान रूप से विकास पहुँचाना व्यावहारिक रूप से कठिन हो गया है। ऐसे में पूर्वांचल राज्य की मांग पूरी तरह संवैधानिक, तार्किक और जनहित में है। उन्होंने 50 राज्यों के गठन की जरुरत बताया।
उन्होंने कहा कि पूर्वांचल के युवा आज भी रोजगार, शिक्षा और बेहतर जीवन की तलाश में पलायन को मजबूर हैं। यदि प्रशासन जनता के नजदीक होगा, तभी योजनाओं का वास्तविक लाभ ज़मीन तक पहुँचेगा। छोटे राज्यों के गठन का अनुभव देश पहले भी देख चुका है, जहाँ विकास की गति तेज़ हुई है।
पूर्व सांसद ने राष्ट्रीय राज्य पुनर्गठन आयोग के गठन की मांग का समर्थन करते हुए कहा कि यह विषय किसी एक क्षेत्र या दल तक सीमित नहीं है, बल्कि देश के संतुलित विकास से जुड़ा राष्ट्रीय मुद्दा है। उन्होंने केंद्र सरकार से अपील की कि इस विषय पर गंभीरता से विचार कर संवाद की प्रक्रिया शुरू की जाए।
इस अवसर पर पूर्वांचल राज्य जनआंदोलन (पीआरजे पार्टी) के राष्ट्रीय अध्यक्ष अनुज राही एवं राष्ट्रीय संयोजक व राष्ट्रीय मीडिया प्रभारी हरवंश पटेल, हाई कोर्ट इलाहाबाद के वरिष्ठ अधिवक्ता अरविन्द कुमार भारद्वाज ने कहा कि यह आंदोलन पूरी तरह शांतिपूर्ण, लोकतांत्रिक और संविधान के दायरे में है। धरना-प्रदर्शन के माध्यम से सरकार को ज्ञापन सौंपकर वार्ता के लिए समय मांगा गया है। इस मौके पर धरने में देश के विभिन्न हिस्सों से आए संगठनों के प्रतिनिधि, सामाजिक कार्यकर्ता, बुद्धिजीवी और युवा बड़ी संख्या में उपस्थित रहे।





