कोरोना संक्रमण में भी बिजली कर्मचारियों की जगह कारपोरेट मुनाफे के लिए सरकार ला रही इलेक्ट्रीसिटी(एमेण्डमेंट) बिल 2020 , वर्कर्स फ्रंट ने किया विरोध

कोरोना संक्रमण में भी बिजली कर्मचारियों की जगह कारपोरेट मुनाफे के लिए सरकार ला रही इलेक्ट्रीसिटी(एमेण्डमेंट) बिल 2020 , वर्कर्स फ्रंट ने किया विरोध

Lucknow, पूर्वांचल न्यूज प्रिन्ट। जब पूरा देश कोविड-19 महामारी से लड़ रहा है खासकर स्वास्थ्य, सफाई और बिजली सेक्टर में लगे सरकारी कर्मचारी कोरोना वारियर्स की अहम भूमिका अदा कर रहे हैं। ऐसे संकट के दौर में कारपोरेट व निजी क्षेत्र की भूमिका बेहद असंतोषजनक रही है ।बावजूद इसके कारपोरेट बिजली कंपनियों के हितों के लिए बिजली के निजीकरण की प्रक्रिया को आगे बढ़ाने के लिए मोदी सरकार द्वारा इलेक्ट्रीसिटी(अमेंडमेंट) बिल 2020 के मसौदा को पेश करने से देशभर के 15 लाख बिजली कर्मियों में भारी क्षोभ व्याप्त है और इस जनविरोधी कार्यवाही के खिलाफ बिजली संगठनों ने गंभीर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए इसे वापस लेने की मांग की है। देश जब पहले से ही गंभीर संकट में है, तब ऐसे में गौतम अडानी, मुकेश अम्बानी और टोरेंटो जैसे कारपोरेट बिजली कंपनियों के हितों के लिए आतुर मोदी सरकार की यह कार्यवाही बिजली कर्मियों के आक्रोश को भड़का सकती है जिससे पहले से ही महामारी से जूझ रहे देश में एक नया संकट पैदा हो सकता है। उत्तर प्रदेश वर्कर्स फ्रंट के प्रदेश अध्यक्ष दिनकर कपूर कहते हैं कि आगरा के टोरेंट पावर के बिजली वितरण के निजीकरण से यह उजागर हो चुका है कि न सिर्फ सरकार को भारी घाटा हुआ है बल्कि उपभोक्ताओं को भी भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है, साथ में सीएजी की रिपोर्ट में घोटाले का पर्दाफाश भी हुआ है, इसके अलावा भी आज दिन में उजाले की तरह स्पष्ट है कि रिलायंस, बजाज आदि कारपोरेट बिजली उत्पादन कंपनियों को किस तरह मुनाफाखोरी व लूट की खुली छूट दी गई है। दरअसल ऊर्जा क्षेत्र के निजीकरण का मकसद ही बड़े कारपोरेट घरानों की मुनाफाखोरी, कारपोरेट बिजली कंपनियों को तरजीह व सार्वजनिक कंपनियों को बर्बाद करने की नीति है। इसी का परिणाम बिजली दरों में भारी बढ़ोतरी और घाटा है। उन्होंने कहा कि बिजली कर्मियों का यह कहना कि 5 अप्रैल को प्रधानमंत्री के लाईट बंद करने के इवेंट्स में जिस तरह 31 हजार मेगावाट यानी 25% से ज्यादा लोड के जर्क को सफलतापूर्वक हैंडल कर ग्रिड को फेल होने से बचा लिया, यह उनकी कार्यकुशलता व दक्षता को प्रदर्शित करता है पूरी तरह से सही है, यह भी सही है अगर बिजली सेक्टर निजी क्षेत्र के हवाले होता तो ऐसे हालात में हाथ खड़े कर देता। वर्कर्स फ्रंट ने बिजली कर्मियों की मांग का समर्थन करते हुए प्रधानमंत्री से अपील की है कि तत्काल इलेक्ट्रीसिटी(अमेंडमेंट) बिल 2020 के मसौदे को वापस लें।