लॉकडाउन में मुसहरों को बगैर वनाधिकार दावे का निस्तारण किए बेदखल करना आदिवासी विरोधी कृत्य :अजय राय

लॉकडाउन में मुसहरों को बगैर वनाधिकार दावे का निस्तारण किए बेदखल करना आदिवासी विरोधी कृत्य :अजय राय

चन्दौली,  News Desk: वैश्विक महामारी में जब पूरा देश लॉक डाउन में हैं. जहां इस समय हर गरीब समाज को मदद की जरूरत है. जिलाधिकारी से लेकर सामाजिक संस्थाएं, सामाजिक व्यक्तियों द्वारा अथक मेहनत करके उनको राहत पहुंचाई जा रहीं हैं. इसके साथ ही दूसरी ओर सरकार के तरफ से भी लगातार राहत की बात हो रही  है. मगर आरोप है कि ऐसे समय में चन्दौली के नौगढ़ में वनाधिकार कानून के तहत उनके दावे का बिना निस्तारण किए आदिवासियों खासकर मुसहर समाज को जमीन से बेदखल कर उनका आशियाना उजाड़ने में वन विभाग लगा है। ताज्जुब तो तब होता है जब देवखत में परसा घाट के पास बसें मुसहरों पर वन विभाग का उजाड़ने का अभियान चलाया है। उसी के कुछ दूरी पर आरएसएस द्वारा संचालित वनवासी के विकास के लिए स्थापित आश्रम भी है. इस दोहरी व्यवस्था ने भाजपा व आरएसएस वनवासी प्रेम की कलई खोल  लकर रख दी है। यहां वन विभाग आदिवासियों, वनवासियों को उजाड़ने व पुश्तैनी जमीन पर बसें भूमि पर गढ़ा खोदाई अभियान शुरू की है। आलम यह है कि कई जगह तो दबंगों व खुद जंगल विभाग में काम करने वाले वनकर्मी के परिवारों की अवैध कब्जे वाली जमीन पर उच्चाधिकारियों की नजर ही नहीं पड़ रही है. स्वराज अभियान के नेता अजय राय ने वहाँ के स्थानीय नेताओं से जानकारी लेने के बाद बताया कि इस दमनकारी अभियान का लोकतांत्रिक तरीके से और लॉक डाउन के नियम का पालन करते हुए विरोध करबे मजबूर हैं। कहा कि इस घटना को लेकर वन विभाग की मनमानी से मुख्यमंत्री जी के संज्ञान में लाया जाएगा. ताकि नौगढ़ के वन विभाग की जनविरोधी कृत्य पर अंकुश लग सके. काशी वन जीव प्रभाग रामनगर के नौगढ़ रेंजर अंतर्गत धमदाहा कंपार्टमेंट के देवघर वन क्षेत्र में परसा घाट पर मुसहर जाति के दर्जनों परिवार लंबे समय से कच्चा मकान मड़ई व छप्पर लगा करके गुजर बसर करते हैं. लेकिन पिछले दिनों वन विभाग ने उन झोपड़ियों में तोड़ फोड़ कर दिए. आरोप यह भी है कि वे वनवासियों का सामान भी उठा ले गए। इस समय वैश्विक महामारी में वनवासी समाज को उजाड़ने की कार्रवाई पूरी तरह से जन विरोधी कृत्य है. जिस पर सरकार को तत्काल संज्ञान लेना चाहिए.एक तरफ तो पूरे  नौगढ़ क्षेत्र में लंबे समय से वन भूमि पर बसे हुए आदिवासियों वनवासियों को वनाधिकार मिला हुआ है. वहीं कानून के मामले में सुप्रीम कोर्ट- हाई कोर्ट के आदेश के बावजूद भी वनाधिकार कानून का लाभ नहीं देने में सरकार मनमानी जर थी है. वन विभाग की शह पर दबंगों व वन माफियाओं के द्वारा प्राकृतिक पेड़ों को काटकर कब्जा किए जा रहे हैं जबकि उस पर वन विभाग पूरी तरह से मौन है.