दुर्गावती/कैमूर: बिहार राज्य के दुर्गावती थाना क्षेत्र अंतर्गत उत्तर प्रदेश बिहार की सीमा पर कोरोना वायरस वैश्विक महामारी में लॉक डाउन की ड्यूटी निभा रहे कर्मचारियों को सरकार की तरफ से गुणवत्तापूर्ण भोजन नहीं मिल पा रहा है. वे चिलचिलाती धूप में भूख से बिलबिला जा रहे हैं. करोना योद्धा के कर्मचारी लाचार व विवश होकर बगल के तेजस्वी भोजनालय कैंप में जाकर भोजन कर रहे हैं. वहीं उन्हें सरकारी भत्ते से भी वंचित रखा गया है. शिक्षक कर्मचारियों का कहना है कि सरकार की तरफ से कोई सुख सुविधा कर्मचारियों के लिए नहीं किया गया है.
और ना ही मास्क तथा सैनिटाइजर का व्यवस्था किया गया है. लॉक डाउन की घोषणा के बाद से ही शासन प्रशासन के तमाम कर्मचारी लोगों को कोरोना लाक डाउन की ड्यूटी में लगा दिया गया है.
जहां सभी कर्मचारियों को बिहार सरकार प्रतिदिन भत्ता के रूप में ₹350 दे रही है, वहीं सौतेला व्यवहार करते हुए नियोजित शिक्षकों को फ्री में खटाया जा रहा है.और भत्ता से वंचित कर दिया गया है. लॉक डाउन की ड्यूटी निभा रहे नियोजित शिक्षकों ने
सरकार से मांग किया है कि कोरोना भत्ता मिलना चाहिए. और दोहरी नीति नहीं होनी चाहिए. पूरे देश में जब से लॉक डाउन की घोषणा हुई है,
तब से नियोजित शिक्षक कोरोना योद्धा के रूप में लड़ाई लड़ रहे हैं.और हजारों हजार की संख्या में यूपी बिहार बॉर्डर पर प्रवासी मजदूरों का आगमन हो रहा है.
जहां शिक्षकों के द्वारा जान जोखिम में डालकर प्रवासी मजदूरों का रजिस्ट्रेशन करते हुए रेलवे टिकट का भी वितरण किया जाता है. वहीं नियोजित शिक्षकों ने यह भी बताया कि सरकार के सभी फरमान को शिक्षक सही ढंग से निष्पादन करते हैं.
यह कोरोना ड्यूटी ही नहीं बल्कि सरकार जहां लगा देती है, जैसे जनगणना , पशु जनगणना, चुनाव आदि सरकार के फरमान को पूरा करते रहते हैं.
उसके बावजूद भी शिक्षक कर्मचारियों के ऊपर बड़े अधिकारियों का भय बना रहता है. कर्मचारी डरे सहमे रहते हैं अधिकारियों के द्वारा धौंस जमाते हुए
नियोजित शिक्षकों को सस्पेंड करने का भी कई बार धमकियां दी जाती हैं.