◆ 'बिहार के दुर्गावती थान क्षेत्र में लोग कोरोना संक्रमण से जान बचाने में जुटे हुए हैं वहीं कर्ज बांटने वाली फाइनेंस कंपनी 'माइक्रो कैश पार' महिलाओं को व्यापार करने के जो पैसा दी है, उसे वसूलने के लिए घरों का चक्कर काट रही है. इस कंपनी के एक एजेंट ने कहा कि- घर बेचो चाहे खेत, जेवरात बेचो चाहे राशन हमें चाहिए बैंक का किस्त' आरबीआई के निर्देशों को ठेंगा दिखाते हुए कर्जदारों से जबरन वसूली में जुटी हुई हैं फाइनेंस कंपनियां◆
दुर्गावती ( बिहार), रिपोर्ट-संजय मल्होत्रा : दिल्ली में बैठी केंद्र सरकार हो या पटना में बैठे बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, इन दिनों लॉक डाउन में भी सभी के निर्देशों को ठेंगा दिखाने का काम फाइनेंस कम्पनियां कर रही है हैं. उन्हें आरबीआई की भी परवाह नहीं है, जिसके इशारे पर उनका फाईनेंस का काम करती हैं. यह मामला है बिहार के कैमूर जनपद के दुर्गावती थाना क्षेत्र के अंतर्गत ग्राम खजुरा के दलित बस्ती का. यहां पहुचे कैशपर माइक्रो क्रेडिट की वसूली करने वाले कर्मचारियों के द्वारा कहां जा रहा है कि कुछ भी करो और हमें कर्ज की अदायगी चाहिए। ऐसे ही वाक्य शुक्रवार कि सुबह 9:00 बजे खजुरा पंचायत के खजुरा गांव के दलित बस्ती में देखने को मिली. माइक्रो क्रेडिट बिजनेस कोरेस्पोटेड b/4 डीआईजी कॉलोनी वाराणसी उत्तर प्रदेश के कर्मचारियों द्वारा बिहार के दुर्गावती थांना क्षेत्र के विभिन्न गांव में पैसा देकर प्रति सप्ताह में ब्याज के साथ वसूली किया जाता है. उसी क्रम में शुक्रवार को भी उक्त बैंक के कर्मी खजुरा गांव पहुंचे और अपने पैसे की मांग करने लगे, लेकिन देश में लॉक डाउन के चलते मजदूर कुछ काम करना तो दूर लोग घरों से भी नहीं निकल पा रहे हैं. जिससे खाने-पीने की भी बहुत किल्लत है. जिससे गरीबो के सामने भुखमरी स्थिति उत्पन्न हो गई है. ग्रामीण मजदूरों ने बताया कि वैश्विक महामारी के खत्म हो जाने के बाद जब जीवन सामान्य पटरी पर आ जाएगा तो मजदूरी करके कंपनी का पैसा दे देंगे. देश की तमाम कंपनियां अपने कर्मचारियों को राहत दे रही हैं और सरकार को चंदा. ऐसी हालात में तो कंपनी को लॉक डाउन पीरियड के तमाम किस्त को माफ कर देना चाहिए. कर्जदारों का कहना था कि इस परेशानी सारे करह माफ कर देना चाहिए. लॉक डाउन के बाद अतिरिक्त लोन दिया जाए जिससे उस पैसे से कमा कर कंपनी के दोनों पैसे को भर सकेंगे. साथ ही साप्ताहिक लोन वसूली तत्काल बंद किया जाय एवं कंपनी के द्वारा बनाए जा रहे दबाव और वसूली के लिए बंद किया जाय. यदि हम लोग घर राशन ही बेच देंगे तो रहेंगे कहां और खाएंगे क्या. देश की ऐसी विषम परिस्थिति में गरीबों के मदद करने के लिए कंपनियों को आगे आना चाहिए तभी जाकर गरीब मजदूर कंपनी के कर्ज की अदायगी कर सकेंगे. वैसे आरबीआई ने कहा है कि कोई बैंक कर्जदारों पर लोन व वसूली का दबाव नहीं डालेगा. और तीन माह तक वसूली व क़िस्त जमा करने का दबाव नहीं देंगे. फिर यहां गरीबों को मानसिक तौर पर फाईनेंस कम्पनियां प्रताड़ित कर रही हैं. इन पर कोई अंकुश नहीं लग पा रहा है.