◆ वर्कर्स फ्रंट की जनहित याचिका के बाद योगी सरकार बैकफुट पर आ गई: दिनकर कपूर◆
Purvanchal News Print लखनऊ: काम के घंटे बारह करने की प्रदेश सरकार द्वारा जारी अधिसूचना के खिलाफ वर्कर्स फ्रंट द्वारा इलाहाबाद हाईकोर्ट में दाखिल जनहित याचिका पर मुख्य न्यायाधीश की खण्ड़पीठ के द्वारा नोटिस देने के बाद बैकफुट पर आयी सरकार ने अपनी अधिसूचना वापस ले ली. वर्कर्स फ्रंट के प्रदेश अध्यक्ष दिनकर कपूर ने इसके लिए मजदूरों और उनके सहयोग करने वालों को बधाई दी है. ज्ञात हो कि मुख्य न्यायाधीश की खण्ड़पीठ ने नोटिस जारी करते हुए अगली सुनवाई की तिथि 18 मई निर्धारित की थी। इस जनहित याचिका में अधिवक्ता प्रांजल शुक्ला व विनायक मित्तल द्वारा बहस की गयी थी. नोटिस जारी करने के बाद हरकत में आयी प्रदेश सरकार के प्रमुख सचिव श्रम ने मुख्य स्थायी अधिवक्ता, इलाहाबाद उच्च न्यायालय को आज जारी अपने पत्र में काम के घंटे बारह करने की अधिसूचना वापस लेने की सूचना दी है. पत्र में इसकी सूचना माननीय उच्च न्यायालय को देने का अनुरोध किया गया है.
इस निर्णय की जानकारी प्रेस को देते हुए याचिकाकर्ता व वर्कर्स फ्रंट के अध्यक्ष दिनकर कपूर ने कहा कि आखिर योगी सरकार को काम के घंटे बारह करने का मजदूर विरोधी, मनमाना, विधि विरूद्ध और तानाशाहीपूर्ण फैसला वापस लेना पड़ा। उन्होंने मुख्यमंत्री द्वारा पैदल चल रहे प्रवासी मजदूरों पर कार्यवाही करने की घोषणा की आलोचना करते हुए कहा कि आरएसएस-भाजपा की सरकार को इतना अमानवीय नहीं होना चाहिए. अगर उनकी सरकार मजदूरों की मदद नहीं कर सकती तो कम से कम उनका उत्पीड़न तो न करे. उन्होंने कहा कि आज जो मजदूरों की त्रासद स्थिति है उसके लिए सिर्फ और सिर्फ मोदी जी और उनकी सरकार जिम्मेदार है, जिसने चार घंटे का वक्त देकर लाकडाउन लागू किया.
वहीं मजदूर नेता अजय राय ने कहा कि अगर सरकार श्रम कानूनों को खत्म करने का अध्यादेश भी लाती है तो उसे भी चुनौती दी जायेगी। सरकार की मनमानी और तानाशाही को परास्त किया जायेगा और मेहनतकशों के लोकतांत्रिक अधिकारों और उनके जीवन की रक्षा के लिए चैतरफा प्रयास किया जायेगा.