आईपीएफ नेता ने कहा," प्रवासी मजदूरों पर लाठीचार्ज बर्बर, अमानवीय एवं अपराधिक कृत्य है

आईपीएफ नेता ने कहा," प्रवासी मजदूरों पर लाठीचार्ज बर्बर, अमानवीय एवं अपराधिक कृत्य है


Purvanchal News Print, लखनऊ: इंडिया पीपुल्स फ्रंट के राष्ट्रीय प्रवक्ता एस आर दारापुरी ने कहा कि "प्रवासी मजदूरों पर लाठीचार्ज चार्ज बर्बर, अमानवीय एवं अपराधिक कृत्य है”.यहां रविवार को एस आर दारापुरी आईपीएस (से.नि.) ने  जारी बयान में कहा कि पहले तो बिना किसी योजना एवं विचार विमर्श के पूरे देश में अचानक  लॉक डाउन   लागू कर दिया, जिसके फलस्वरूप करोड़ों मजदूर अलग अलग जगह पर फंस गए. दूसरे जहाँ पर वे फंसे थे उनके लिए उचित भोजन व्यवस्था नहीं की गयी. तीसरे जब मजदूरों को घर भेजने का निर्णय लिया गया तो उसकी उचित योजना व्यवस्था नहीं बनायीं गयी. परिणाम यह हुआ है रेल गाड़ियाँ आदि भी सुचारू ढंग से नहीं चलाई जा रही हैं.                       
इस सब दुर्व्यवस्था के परिणाम स्वरूप मजदूरों में सरकारों के प्रति एक अविश्वास एवं असंतोष पैदा हो गया है. इससे दुखी हो कर उन्होंने अपने स्तर पर पैदल ही सैंकड़ों, हजारों किलोमीटर चल कर अपने अपने घर जाने का फैसला कर लिया है और वे अपने घरों के लिए निकल पड़े हैं.
दारापुरी ने आगे कहा है कि अब जब मजदूर पैदल अथवा अपने साधनों से घरों के लिए निकल रहे हैं तो सरकारें उनके लिए कोई साधन उपलब्ध कराने की जगह मुख्य मार्गों पर पुलिस लगा कर उन्हें जबरदस्ती रोक रही है और इधर से उधर धकेल रही है. पुलिस द्वारा रोके जाने का विरोध करने पर उन पर अपराधियों की तरह डंडे बरसाए जा रहे हैं.                मुख्य मार्गों पर पुलिस द्वारा रोके/पकडे जाने के डर से वे रेल पटरियों, नहरों तथा बीहड़ के रास्ते पकड रहे हैं. औरंगाबाद में रेल पटरी पर 16 मजदूरों की मौत दुर्घटना नहीं बल्कि व्यवस्था द्वारा की गयी हत्याएं हैं. इसके इलावा अब तक अनगिनत मजदूर भुखमरी एवं सड़क दुर्घटनाओं में मौत का शिकार हो चुके हैं. ऐसा लगता है जैसे देश का अधिकतर मजदूर तबका सड़कों. पटरियों, नहरों और बीहड़ के रास्तों पर भूखा नंगा भटकने के लिए बाध्य कर दिया गया है. यह इतिहास की वीभत्स त्रासदी है. इसका ज़िम्मेदार कौन है?
दारापुरी ने आगे कहा है कि एक तरफ देश के अन्दर संपन्न वर्ग के व्यक्तियों और विदेश से भारतीयों को बसों और हवाई जहाजों से बिना किसी शर्त के वापस बुलवाया जा रहा है. वहीँ दूसरी ओर गरीब मजदूरों के ऊपर कोरोना मुक्त होने का डाक्टरी प्रमाण पत्र प्रस्तुत करने की शर्तें आदि लगाई जा रही हैं और रेल गाड़ियों की व्यवस्था अति दुरूह एवं समय लेने वाली बनाई गयी है. एक देश के नागरिकों के साथ इस तरह का भेदभाव वाला व्यवहार सरकारों के वर्गीय विभेदकारी आचरण की नंगी तस्वीर पेश करता है. यह विचारणीय है कि अगर सरकार अपनी ओर से लाक डाउन लगा कर मजदूरों को जबरदस्ती रोकती है तो क्या उन्हें घर पहुँचाने की ज़िम्मेदारी भी सरकार की नहीं है. सरकारों का यह कृत्य न केवल अमानवीय एवं बर्बर है बल्कि अपराधिक भी है.

पीपुल्स फ्रंट केंद्र एवं राज्य सरकारों से यह मांग करता है कि या तो सरकारें मजदूरों को क्वारनटीन करे और उनके भोजन आदि की उचित व्यवस्था करे या फिर अगर वे उनके लिए किसी साधन की वयस्था करने में असमर्थ है तो उन्हें उनकी इच्छा के अनुसार जैसे भी जा रहे हैं जाने दे और किसी भी हालत में उन पर पुलिस की लाठियां न बरसाए वर्ना मजदूरों का गुस्सा सरकार व्यवस्था के खिलाफ एक बड़े आक्रोश का सबब बन सकता है जो किसी के भी हित में नहीं होगा.