बेसहारा महिलाओं की हेल्पलाइन-181 पर सरकार की तिरक्षी नजर, एक साल से पेमेंट नहीं

बेसहारा महिलाओं की हेल्पलाइन-181 पर सरकार की तिरक्षी नजर, एक साल से पेमेंट नहीं


◆ वेतन भुगतान व हटाने की नोटिस के खिलाफ वर्कर्स फ्रंट ने श्रमायुक्त लखनऊ को भेजा पत्र


Purvanchal News Print, लखनऊ: उत्तर प्रदेश सरकार  के महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा वर्ष 2015 में शुरू की गई आशा ज्योति वूमेन हेल्पलाइन 181 में काम करने वाले 351, जिनमें ज्यादातर महिलाएं हैं उन्हें योगी सरकार ने बेसहारा कर दिया है. उन महिलाओं को और कर्मचारियों को पिछले एक साल से वेतन का भुगतान नहीं किया जा रहा है.                                                                       COVID-19 के समय जब बिना संसाधन और सरकारी सुविधाओं के उन्होंने महिलाओं के लिए काम किया तब उसके एवज में 5 जून को उन्हें काम से हटने का नोटिस जारी कर दिया है. यह कारनामा सिकंदराबाद, आंध्र प्रदेश की सेवा प्रदाता कंपनी जीवीके द्वारा दे दिया गया है. इस संबंध में वर्कर्स फ्रंट के प्रदेश अध्यक्ष दिनकर कपूर के नेतृत्व में आशा ज्योति महिला हेल्पलाइन में काम करने वाली महिलाओं ने अपर श्रमायुक्त लखनऊ को पत्रक दिया.                                                                                         
                                                                                                        ।रविवार को यहां पत्रकारों को बर्कर्स फ्रंट से जूड़े अजय राय ने जानकारी देते हुए बताया कि पत्रक में मांग की गई कि सेवा प्रदाता कंपनी की मनमर्ज़ी पूर्ण और विधि के विरुद्ध की गई छंटनी की कार्रवाई पर तत्काल प्रभाव से रोक लगाई जाए और एक साल से बकाए वेतन का अर्जेंट भुगतान किया जाए.
                                                                               
                                                                                                                       गौरतलब हो कि यह वूमेन हेल्पलाइन के द्वारा विधवा, पति त्यागता, कम उम्र की बच्चियों की शादी के विरुद्ध, बलात्कार पीड़ित और अन्य रूप से उत्पीड़ित की गई महिलाओं की सहायता के लिए पूर्ववर्ती सरकार ने आशा ज्योति वूमेन हेल्पलाइन का गठन किया था और 181 मोबाइल नंबर के जरिए पूरे प्रदेश में ऐसी महिलाओं की मदद की जाती थी. इसके लिए सरकार ने सिकंदराबाद की जीवीके रिसर्च कंपनी के साथ समझौता किया था और समझौता में यह तय किया था यह काम 5 साल तक चलेगा और कार्य का अग्रिम भुगतान सरकार द्वारा किया जाएगा.                                                                                                                                                     लेकिन जब से उत्तर प्रदेश में भाजपा की सरकार बनी तब से इन महिलाओं को आमतौर पर वेतन भुगतान में दिक्कत आने लगी और हद यह हो गई कि पिछले एक साल से भुगतान ही रोक दिया गया है. सेवा प्रदाता कंपनी का कहना है कि यदि सरकार द्वारा उसे भुगतान नहीं किया गया तो ऐसी स्थिति में वह कैसे भुगतान कर पाएगी.
 लॉक डाउन के दौरान सेवा प्रदाता कंपनी द्वारा अपने कार्मिकों को काम से हटाने का आदेश देना विधि के विरुद्ध व मनमर्जी पूर्ण तो है ही, साथ ही आपराधिक कृत्य है. इसलिए महामारी अधिनियम के तहत विधिक कार्यवाही की जाए.