पहली जुलाई से प्राइमरी स्कूल तो खुल गए, मगर पढ़ाई नहीं होगी

पहली जुलाई से प्राइमरी स्कूल तो खुल गए, मगर पढ़ाई नहीं होगी

                                                                                                                                      ◆ ज्यादातर शिक्षकों को नहीं पता सरकार ने क्यूं बुलाया है उन्हें स्कूल                                                                                         चन्दौली/लखनऊ: कोरोना संक्रमण की वजह से पूरे देश में लॉकडाउन किया गया था. अब अनलॉक शुरू हो गया है. पहली जुलाई से उत्तर प्रदेश सरकार प्राइमरी स्कूलों को खोल दिया गया है. मगर ज्यादातर अध्यापकों को नहीं जानकारी है कि सरकार ने उन्हें स्कूल किस काम से बुलवाया है.                                                                                                                                 जानिए खुले प्राइमरी स्कूल में उपस्थित अध्यापक क्या करेंगे. इनकी क्या होगी गतिविधियां? और उनके स्कूल खुलने के नियम क्या हैं ?

कोरोना संक्रमण के चलते देश भर में लॉकडाउन के बाद अब अनलॉक चल रहा है. फिर भी अभी तक देश भर के सरकारी स्कूल बंद है. मगर अब उत्तर प्रदेश सरकार ने सरकारी प्राइमरी स्कूल पहली जुलाई से खोल दिया है. खुले इन विद्यालयों में अध्यापक होंगे लेकिन बच्चे नहीं होंगे. सारे काम होंगे लेकिन पढ़ाई नहीं होगी.                                                                पहली जुलाई से नई नियमावली के मुताबिक अभी केवल शिक्षकों व प्रधानाध्यापकों को स्कूल आना होगा. इस संबंध में बेसिक शिक्षा महानिदेशक विजय किरन आनंद ने पूर्व में एक आदेश जारी किया था. 
                                                                बेसिक शिक्षा महानिदेशक के क्या हैं निर्देश?                                                                                                             बेसिक शिक्षा महानिदेशक ने कहा कि एक जुलाई से शिक्षक व प्रधानाध्यापक स्कूलों में मौजूद रहकर सभी शैक्षण‍िक कार्य की तैयारी  शुरू करेंगे. अब उनकी उपस्थिति अनिवार्य हो गई है. उनका पहला काम होगा कि वे  शारदा अभियान के तहत 6 से 14 वर्ष तक के बच्चों का प्रवेश सुनिश्चित करेंगे . फिर दीक्षा ऐप के जरिए शिक्षकों को अपना प्रशिक्षण भी पूरा करना पड़ेगा. वहीं यूपी सरकार द्वारा तैयार किया गया विकसित आधारशिला, ध्यानाकर्षण और प्रशिक्षण संग्रह का प्रशिक्षण भी प्रस्तावित है. यह प्रशिक्षण 20 जुलाई से सभी खण्ड शिक्षा अधिकारी 25-25 शिक्षकों का बैच बनाकर चलाया जाएगा.
   
                                                                                                                            इसी दौरान बच्चों तक किताबें पहुंचाना और यूनिफार्म बनवाने का काम भी श‍िक्षकों को ही पूरा करना होगा. सरकारी प्राइमरी स्कूलों में बच्चों की नाप का यूनिफार्म बनवाने और समर्थ ऐप के जरिए दिव्यांग बच्चों का नामांकन ऐप पर किया जाना तय है.
                                                           इसके लिए शिक्षकों को गांव-गांव व मजरों में घूमकर ऐसे बच्चों को ऐप पर पंजीकृत करना है. इनके लिए शैक्षणिक योजना तैयार करना है. मानव संपदा पोर्टल पर उपलब्ध ब्यौरों का सत्यापन और यू डायस डाटा को भी सही करने का काम इस बीच पूरा किया जाएगा.                                                                       उत्तर प्रदेश के चन्दौली जनपद में बरहनी ब्लॉक के रामपुर विद्यालय पर जब 'पूर्वांचल न्यूज प्रिंट' का प्रतिनिधि जब पहुंचा तो वहां स्कूल के प्रधानाध्यापक बलराम पाठक सहित अन्य शिक्षक मौजूद थे, मगर ज्यादातर शिक्षकों को नहीं पता था कि सरकार ने उन्हें स्कूल क्यूं बुलाया है. यहां उपस्थिति क्यूं अनिवार्य किया गया है.                                   रिपोर्ट- श्रीराम तिवारी