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pnp फोटो: स्वास्थ्य केंद्र कैमूर में कर्मियों की मनमानी |
बिहार सरकार के स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडे कहते हैं कि ऐसे मामले की तुरंत जांच होगी और दोषी पाए जाने वाले सभी लोगों पर कानूनी कार्रवाई की जाएगी. क्या कहती है क्षेत्रीय ग्रामीण जनता: दुर्गावती क्षेत्र के खजुरा गांव निवासी सुमंत कुमार राकेश राम विजय बहादुर राम फूलेंदर राम व दुर्गावती क्षेत्र के ग्राम रोहुआ खुर्द निवासी समाजसेवी सुरेश वाडेकर आदि लोगों ने बताया कि क्षेत्र की भोली-भाली जनता को इलाज के नाम पर लूटा जा रहा है. डिलीवरी मरीजों का केस हो या हड्डी फैक्चर या सड़क दुर्घटना का केस प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में पहुंचते ही.
वहां इलाज के नाम पर कोरम पूरा करते हुए ब्लड जांच की कमी का बहाना या अल्ट्रासाउंड जांच एवं अन्य शारीरिक जांच का बहाना बनाकर आशा कार्यकत्री एवं डॉक्टर सभी लोग एक राय होकर ऑपरेशन से बच्चा पैदा कराने की बात पर अड़ जाते हैं.
और आनन-फानन में मरीज के परिजनों को गुमराह करते हुए मरीज को स्वास्थ्य केंद्र के अगल-बगल या फिर अपने परिचित प्राइवेट हॉस्पिटल पड़ोसी राज्य उत्तर प्रदेश के सैयदराजा, चंदौली , मुगलसराय ,
बनारस आदि जगहों पर मरीजों को आशा कार्यकर्ताओं के द्वारा मरीज के परिजनों को बहला-फुसलाकर पहुंचाया जाता है.
जहां से आशा और एएनएम के साथ डॉक्टर लोगों की महीने में मोटी रकम की अवैध कमाई हो जाती है. यह धंधा कोई नया नहीं है बल्कि पुरानी धंधा है. लॉक डाउन में तेजी से फल फूल रहा है.
और जिन मरीजों के गार्जियन के पास उतना पैसा नहीं होता है.
तो एएनएम और डॉक्टर देर ना करते हुए भी मरीज को रेफर पर्ची बनाकर स्वास्थ्य केंद्र से बाहर निकाल देते हैं.
आशाओं के द्वारा यह भी कहा जाता है कि यहां स्वास्थ्य केंद्र से बेहतर इलाज हमारे परिचित प्राइवेट अस्पताल में होता है. अगर जच्चा-बच्चा सही सलामत आप परिजन लोग चाहते हैं, तो प्राइवेट अस्पताल मेरे साथ चलिए और देर ना करते हुए आशा लोग एक फोन कर अपने चहेते प्राइवेट हॉस्पिटल से एंबुलेंस मंगा लेती हैं. और दुर्गावती में मरीजों को भोजन एवं नाश्ता चाय का पैसा एनम एवं डॉक्टर सभी लोग मिलकर खा जाते हैं.
वायरस वैश्विक महामारी को लेकर पूरे भारत में लॉकडाउन के बीच विषम परिस्थिति में स्वास्थ्य केंद्र के द्वारा मरीजों को मास्क नहीं देकर थोक रेट में प्राइवेट दुकानों पर डॉक्टरों के द्वारा बेच दिया जाता है.
और मरीज एवं मरीज के परिजनों को डॉक्टरों के द्वारा अशब्द का प्रयोग करते हुए मास्क लगाने की झाड़ सुनाई जाती है. और मरीजों को शुद्ध पीने का पानी नहीं मिल पाता है.
अगर मरीजों को एक गिलास पानी की जरूरत पड़े तो वहां समरसेबल मशीन को चलाकर पानी निकालना पड़ता है और स्वास्थ्य विभाग के कर्मियों को जैसे ही उच्च स्तर के पदाधिकारियों के आने की भनक लगती है तो पहले सभी डॉक्टर और एनम व आशा सभी लोग अपनी कमियों को छिपाने की भरपूर प्रयास करते हैं. ताकि कोई कमी दिखाई ना दे सके.
स्थानीय ग्रामीणों ने यह भी बताया कि इस लापरवाही से जच्चा बच्चा दोनों स्पयार कर जाते हैं. अगर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र का रवैया नहीं सुधरी तो क्षेत्र के सभी जनता एकजुट होकर दुर्गावती स्वास्थ्य केंद्र पर उग्र जन आंदोलन करने को तैयार हैं.
क्या कहते हैं सदर अस्पताल भभुआ- कैमूर प्रबंधक: इनसे पूछे जाने पर उन्होंने बताया कि जो क्षेत्रीय ग्रामीण आपसे आरोप लगा रहे हैं, वह लोग आकर हमारे यहां लिखित शिकायत दर्ज कराएं, तब होगी कार्रवाई ऐसे चिल्लाने और कहने से कुछ नहीं होने वाला है. रिपोर्ट: संजय मल्होत्रा