दुर्गावती (कैमूर): प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र दुर्गावती का हाल इन दिनों काफी खराब हो चुका है.यहां जांच के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति किया जा रहा है. सरकारी हॉस्पिटल के बाहर कमीशन पर मरीजों का जांच हो रही है. स्वास्थ्य केंद्र का अल्ट्रासाउंड मशीन वर्षों से बंद पड़ा है, जिससे मरीजों को लाचार एवं विवश होकर हॉस्पिटल के बाहर अल्ट्रासाउंड जांच कराना पड़ता है.
क्या कहते हैं क्षेत्रीय ग्रामीण जनता समाजसेवी सुरेश वाडेकर , शंभू राम, सोनी देवी फूला देवी अंजनी देवी पूनम देवी प्रभा कुंवर सावित्री कुंवर आदि लोगों ने बताया कि प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पर मरीज पर्ची कटाने जाते हैं तो ₹3 शुल्क लिया जाता है.
उसके बाद पर्ची को ऑनलाइन कराने के नाम पर भी ₹3 शुल्क लिया जाता है.फ्री इलाज के नाम पर मरीज खुशी से ₹3 तो दे देते हैं, लेकिन वहीं दूसरी तरफ जांच के नाम पर हॉस्पिटल के बाहर प्राइवेट जांच कराने के लिए भेजा जाता है.
जिससे जग जाहिर होता है कि सरकारी हॉस्पिटल के डॉक्टर को बाहर की जांच केंद्र से प्रतिदिन भारी कमीशन मिलता है. प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र दुर्गावती में जांच की कोई सुविधा नहीं होने से मरीज परेशान रहते हैं और बाहर के हॉस्पिटल में जांच कराना पड़ता है
उन्होंने यह भी बताया कि एक जांच पर यदि ₹100 कमीशन सरकारी डॉक्टर को मिलता होगा तो दिन भर में कम से कम 50 जांच से ज्यादा ही मरीजों का जांच होता है.
तो प्रतिदिन कमीशन ₹5000 हो जाता है. इस तरह से महीना का लाखों रुपए का कमीशन सरकारी हॉस्पिटल के डॉक्टरों को मिलता है. सरकारी डॉक्टर के मिलीभगत से बाहर में प्राइवेट जांच केंद्र चलाया जा रहा है, और डिलीवरी वाले मरीज को आशा के द्वारा दुर्गावती प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पहुंचाया जाता है.
जहां पर उपस्थित दलाल और आशा बाहुओं की मिलीभगत से रेफर करा कर प्राइवेट झोलाछाप डॉक्टरों के यहां पहुंचाया जाता है. जहां पर आए दिन जच्चा-बच्चा की मौत हो जाती है. ऐसी घटनाएं कई बार देखा जा चुका है. वहीं ग्रामीणों ने जिला पदाधिकारी से मांग किया है कि प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र दुर्गावती की पूरी जांच करते हुए जांच सुविधा उपलब्ध कराया जाए और यहां से दलालों के खिलाफ कार्रवाई हो. रिपोर्ट-Sanjay Malhotra.