●Uttar Pradesh News In Hindi
●लाभार्थी अधिकारियों का चक्कर काटता रहा और उसकी क़िस्त किसी दूसरे के खाते में जाती रही
●भाजपा के प्रदेश कार्यकारिणी सदस्य का तहसील समाधान दिवस में दर्ज कराई गई शिकायत भी काम नहीं आ रही
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चंदौली /लखनऊ: प्रधानमंत्री आवास योजना में सकलडीहा विकासखंड में खेल पर खेल होता रहा और अधिकारियों के संज्ञान में आने के बावजूद तीन चार साल बाद भी कोई कार्रवाई नहीं हो पा रही है. यह दर्शाता है कि चन्दौली में अधिकारियों की कार्य पद्धति कैसी है.
यहां जिला पंचायत विभाग प्रधानमंत्री के इस क्रीम प्रोजेक्ट को किस तरह से पलीता निकालने से बाज नहीं आ रहा है.भले ही केंद्र व राज्य सरकार सख्ती करती रहें. अब यही कहा जाए कि जनपद के खेल निराले मेरे भइया, यहां सब कुछ अपने ही तरीके से चलता है.
क्या है प्रधानमंत्री आवस योजना (ग्रामीण) की पूरी कहानी?
हम अब आप को पूरी कहानी बताते हैं. प्रधानमंत्री आवास योजना ग्रामीण के अंतर्गत वर्ष 2016-17 में चन्दौली जनपद के सकलडीहा विकास खंड के धरहर गांव निवासी लालमन मुसहर पुत्र दूधनाथ को एक आवास आवंटित हुआ. यह तत्कालीन ग्राम पंचायत अधिकारी श्री राम सिंह के समय पंजीकृत किया गया.
विभाग ने लालमन मुसहर को प्रथम किस्त ₹44000 लाभार्थी के बैंक खाता संख्या 28180 1000 1325 (बैंक ऑफ बड़ौदा शाख सकलडीहा) की बजाए अन्य दूसरे के उसी बैंक के खाता संख्या 28180 1000 13275 जो श्रीमती संजू पत्नी राम जनम निवासी विशुनपुरा के खाता में भेज दिया.
प्रधानमंत्री आवास का जब लाभार्थी के खाते में पैसा नहीं पहुंचा तो वह ब्लॉक अधिकारी व गांव के सेकेट्री के यहां आवास योजना की क़िस्त के लिए चक्कर काटन शुरू किया और धीरे-धीरे समय गुजरता गया. इस मामले में अधिकारी व अन्य सभी टालमटोल जानकारी देते रहे.
जब यह मामला भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश कार्यकारिणी सदस्य अमित सिंह (जो उसी गांव के रहने वाले हैं) के संज्ञान में आया तो उन्होंने लालमन मुसहर को न्याय दिलाने की ठान ली और आरटीआई का सहारा लिया.
तब इस गड़बड़ी की पोल धीरे धीरे खुलती गई और सकलडीहा विकास खण्ड अधिकारी ने बैंक वालों की गड़बड़ी बताते हुए अपना पल्ला झाड़ लिया.
डीएम की अगुवाई में आयोजित तहसील दिवस का कागजों में है नाम का समाधान दिवस!
शासन के निर्देश पर डीएम क अगुवाई में आयोजित होने वाला तहसील दिवस क्या सच में समाधान दिवस है, इस मामले में यह कुछ ऐसा नहीं दिखता है. तभी तो लालमन प्रकरण में थक हारकर भाजपा प्रदेश कार्यकारिणी सदस्य अमित सिंह ने सकलडीहा तहसील में आयोजित समाधान दिवस में 15 सितंबर 2019 को प्रार्थना पत्र (क्रमांक 300 992119000929) देकर इस पूरी कहानी को उच्च अधिकारियों के संज्ञान में डाला.
प्रार्थना पत्र में लिखा कि सकलडीहा ब्लॉक के धराहरा निवासी लालमन मुसहर को प्रधानमंत्री आवास आवंटन किया गया है, इसके निर्माण के लिए आवंटित राशि 44 हजार विभागीय लापरवाही से दूसरे के खाते में चली गई है. दो-ढाई वर्ष बीत रहा है लेकिन अभी तक कोई समाधान नहीं निकला.
बीडीओ ने दिया जवाब, कहा-संबंधित को लिख दी है चिठ्ठी
इस संबंध में समाधान दिवस के शिकायती पत्र के बाबत भाजपा नेता के प्रार्थना पत्र के जवाब में सकलडीहा बीडीओ ने 11 नवंबर 2019 को उप- जिलाधिकारी सकलडीहा को पत्र भेजकर अवगत कराया कि यह सही है कि आवास के लाभार्थी की राशि दूसरे के खाते में चली गई है. इस बाबत बैंक ऑफ बड़ौदा शाखा सकलडीहा को सही खाते में पैसा हस्तांतरित करने को चिट्ठी लिख दिया गया है.
जिसके खाते में गलती से पैसा चला गया है, वह पैसा वापस अभी तक नहीं किया है. बीडीओ ने पत्र के माध्यम से बताया कि इस संबंध में वहां के ग्राम प्रधान व पंचायत अधिकारी को भी मौखिक अवगत करा दिया गया है.
प्रधानमंत्री आवास की दूसरी क़िस्त भी चली गई दूसरे के खाते थे
अजीब हाल तो यह है कि प्रधानमंत्री आवास की अभी पहली किस्त के गड़बड़ी की शिकायत चल ही रही थी कि उस लाभार्थी की जारी दूसरी क़िस्त कुल 73 हजार रुपये फिर दूसरे खाते में चली गई. जबकी पूर्व में भाजपा नेता ने डीएम के समाधान दिवस में इसकी शिकायत दर्ज कराई थी तो फिर प्रधानमंत्री आवास की दूसरी किस्त दोबारा कैसे दूसरे के खाते में चली गई. जो ₹73000 की थी.
क्या अधिकारी लालमन मुसहर के प्रधानमंत्री आवास के सपना पर फेर देंगे पानी?
यह कहानी यही खत्म नहीं हुई है. लाभार्थी को सरकारी योजना के तहत प्रधानमंत्री आवास योजना का आस लगाए लगभग चार साल हो गया अब उसका यह सपना टूटता नजर आ रहा है. क्यूंकि अधिकारियों कर्मचारियों की लूट खसोट नीति के चलते उनकी कार्यप्रणाली ऐसी हो गई है कि वे योजना के क्रियान्वयन के प्रति गंभीरता नहीं बरत रहे हैं.
चाहे वह प्रधानमंत्री का ड्रीम प्रोजेक्ट हो अथवा हो अथवा यूपी सीएम योगी आदित्यनाथ का थीम प्रोजेक्ट, उनके लिए कोई मायने नहीं रखता है.
सच तो यह है कि इतनी बड़ी गड़बड़ी को सकलडीहा विकास खंड मुख्यालय दबाए बैठा हुआ है.
जबकि इसका हल महज कुल पांच-सात किलोमीटर के दायरे में ही है, यानि लाभार्थी, बैंक, ब्लॉक व जिसके खाते में यह राशि गई है उसके बीच में महज 5 से 7 किलोमीटर की दूरी पर हैं.
चन्दौली परियोजना निदेशक के संज्ञान में, फिर भी अब तक कोई कार्रवाई नहीं
अब सवाल यह उठता है कि प्रधानमंत्री आवास योजना के मामले में इतनी बड़ी गड़बड़ी सामने आने के बाद भी लालमन मुसहर के आवास की क़िस्त भी कैसे दूसरे के खाते में चली गई.
यह सारी चीजें 2017 से अधिकारियों के संज्ञान में आता रहा, फिर भी कोई समाधान नहीं निकला. इस मामले से डीपीआरओ व परियोजना अधिकारी (PD) के संज्ञान होने के वाबजूद किसी के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई.
दिलचस्प पहलू तो यह है कि अभी तक अधिकारी सिर्फ पत्राचार ही कर रहे हैं. लापरवाही के मामले में अभी तक कोई कार्रवाई नहीं की गई.
अब सोचिए, आप का प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत घर का सपना है तो क्या उसे अधिकारी आसानी से पूरा होने देंगे, कहीं आप भी लालमन मुसहर की तरह ब्लॉक बीडीओ के चक्कर काटते न रह जाएं. इसलिए अगर आप प्रधानमंत्री आवास योजना आवेदक हैं तो उसके प्रति खुद गंभीर रहिएगा.
(यह खबर कई स्रोतों पर आधारित है.)