कविता:
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कोरोना मैं तुझको करूँ टाटा बाय
तुझे मुल्क से भगाना चाहताी हूँ
दिलो पर चलेगा ना सिक्का किसी का
यही राज़ ए दिल बताना चाहताी हूँ
सिक्कों से चलती ना दुनिया ना ही दिल
प्यार से दुनिया चलाना चाहताी हूँ
सेवा के कारण ही जन्मी जहाँ में
करके ना सेवा जताना चाहताी हूँ
समय देखते जो कुछ करना चाहूँ
सेवा का मौका ना गवाना चाहताी हूँ
जीने का मकसद बहुत लाज़मी है
मकसद का डर भगाना चाहती हूँ
बहुत कीमती ये मिली ज़िंदगी सरिता
बिंदास हर पल बिताना चाहती हूँ
Source: सरिता कटियार