ट्रेड यूनियनों के राष्ट्रीय प्रतिवाद दिवस में वर्कर्स फ्रंट व मजदूर किसान मंच हुआ शामिल

ट्रेड यूनियनों के राष्ट्रीय प्रतिवाद दिवस में वर्कर्स फ्रंट व मजदूर किसान मंच हुआ शामिल

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राष्ट्रव्यापी मजदूरों के प्रतिवाद में चन्दौली में कई जगह हुए कार्यक्रम, कहा-नई श्रम संहिताएं मजदूर विरोधी


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चन्दौली/लखनऊ। रेल, तेल, बैंक, बीमा, हवाई सेवा, कोयला समेत प्राकृतिक संपदा को जिस तरह से वित्तीय पूंजी की सेवाओं को निजी संस्थानों को दिया जा रहा है, वह और कुछ नहीं इसे गिरवी रखने की कोशिश है। 

जिसके विरुद्ध आज देश की भर की ट्रेड यूनियनों द्वारा आयोजित राष्ट्रीय प्रतिवाद दिवस में वर्कर्स फ्रंट व मजदूर किसान मंच ने उत्तर प्रदेश के चन्दौली जनपद में कार्यक्रम कर विरोध दर्ज कराया।

 इन प्रतिवाद कार्यक्रमों में सरकार से निजीकरण को बंद करने, नई श्रम संहिताएँ वापस लेने, विद्युत संशोधन विधेयक 2020 को रद्द करने, नई पेंशन स्कीम को खत्म करने, ठेका मजदूरों, आंगनबाड़ी, आशा, पंचायत मित्र, शिक्षामित्र आदि स्कीम वर्कर्स को स्थाई करने व सम्मानजनक वेतन देने, मनरेगा में सालभर काम की गारंटी, शहरी क्षेत्रों के लिए रोजगार गारंटी कानून और बुनकरों को विशेष पैकेज देने की मांगे उठाई गई।


कार्यक्रम की जानकारी देते हुए मजदूर किसान मंच के प्रभारी अजय राय व वर्कर्स फ्रंट के नेता तबरेज़ आलम के नेतृत्व में जनपद में कई जगह विरोध प्रदर्शन हुआ। इन नेताओं ने यहां प्रेस को जारी अपने बयान में बताया कि मोदी सरकार ने संसद को बंधक बनाकर मजदूरों के विरुद्ध इस मानसून सत्र में तीन विधेयक जो श्रम संहिताओं के नाम से हैं और किसानों के खिलाफ तीन विधेयक पास करवाए हैं।

 मजदूरों की श्रम संहिताएं आजादी के पहले और आजादी के बाद लंबे संघर्षों से मिले मजदूरों की सुरक्षा, रोजगार, न्यूनतम मजदूरी और लोकतांत्रिक अधिकारों को खत्म करती है. 

इन्होंने कहा की कहां तो मोदी सरकार पांच ट्रिलियन की इकनॉमी बनने की घोषणाएं कर रही थी और कहां उसने देश को इस हालत में पहुंचा दिया की हमारी जीडीपी तक 24 प्रतिशत घट गई.

 पूरे देश में बेरोजगारी भयावह रूप ले चुकी है और सरकार छंटनी, डाउनसाईजिंग, भर्ती पर रोक और कोरी लफ्फाजी करने में व्यस्त है. 

इसके विरुद्ध मजदूर, किसान, युवा तबकों में आक्रोश बढ़ रहा है और इस आक्रोश को मजदूर आंदोलन को एक राजनीतिक ताकत में बदल देना वक्त की जरूरत है. 

उन्होंने कहा कि आज बुनकरों के सस्ती बिजली की पासबुक व्यवस्था को बहाल करने, उनके बिजली बिल और कर्जे माफ करने और विशेष पैकेज देने की मांग की गई.

Source-रविन्द्र यादव